भगवान और जीव के बीच में माया मोह बाध्य : मोहन महारज

ग्राम चितावली में चल रही है श्रीराम कथा

भिण्ड, 25 मार्च। नवरात्रि के अवसर पर अटेर क्षेत्र के ग्राम चितावली स्थित माता के मन्दिर पर श्रीराम कथा का आयोजन महिला सत्संग मण्डल एवं सभी भक्तजनों द्वारा कराया जा रहा है। जिसमें कथा वाचक श्री मोहन महाराज ने चौथे दिन शनिवार को नादर मोह एवं मनु-सतरूपा, प्रतापभानु की कथा का वाचन किया।
श्री मोहन महाराज ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि नारद जी ने तपस्या करके काम, क्रोध, लोभ को जीत लिया तो उन्हें अभिमान हो गया कि हमने काम, क्रोध, लोभ को जीत लिया है। शंकर जी ने कहा यह बात नारायण से मत कहना, किंतु नारद जी नहीं माने, उन्होंने नारायण से भी कह दिया। भगवान तो अपने भक्त का उद्धार चाहते हैं, भगवान समझ गए नारद को अभिमान हो गया है। उन्होंने नारद जी का अहंकार खत्म करने के लिए माया रची, उस माया नगरी के राजा शील निधि की पुत्री सुशील व रूपवान थी। एक दिन नारद उस माया नगरी में पहुंचे तो राजा शील निधि ने अपनी राजकुमारी के गुण-दोष नारद जी से पूछे। सुशील-सुंदर राजकुमारी को देख कर नारद के मन में विवाह का विचार आया तो उन्होंने भगवान नारायण का आह्वान किया और भगवान का रूप मांगा। भगवान भक्त को सही मार्गदर्शन देते हैं। उन्होंने नारद का मोह भंग करने के लिए उन्हें बंदर का रूप दे दिया। जब राजकुमारी वरमाला लेकर आई तो नारद की तरफ देखा भी नहीं। शंकर जी के गण यह सब जानते थे, स्वयं विष्णु भगवान भी वहां उपस्थित थे, राजकुमारी ने उन्हें वरमाला पहनाई। गण नारद से कहने लगे अपना रूप तो देखो बंदर जैसे हो। नारद ने पानी में अपना मुंह देखा बंदर जैसा रूप देखकर बहुत क्रोधित हुए और विष्णु भगवान को श्राप दे दिया कि जिस तरह मैं व्याकुल हूं, उसी तरह तुम पत्नी वियोग में व्याकुल रहोगे। जिसे विष्णु भगवान ने सहर्ष स्वीकार किया। भगवान ने माया नगरी को समाप्त कर वास्तविकता से परिचय कराया, तो नारद को पश्चाताप हुआ और भगवान से क्षमा मांगी। मनु-सतरूपा ने भगवान को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की। भगवान ने वरदान दिया एवं मनु-सतरूपा को दर्शन दिए व पुत्र के रूप में प्रकट हुए। सत्यकेतु के पुत्र प्रतापभानु, अरिमर्दन थे। प्रतापभानु के साथ छह करके कालनेमि ने ब्राह्मणों को भोजन में मांस मिला दिया तो आकाशवाणी हुई, ब्राह्मणों ने श्राप दे दिया, जो अगले जन्म में रावण-कुंभकरण व विभीषण हुए।

इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी अटेर मण्डल के पूर्व मंत्री विक्रम अहरोलीघाट, किशुपूरा सरपंच गोकरन सिंह, दशरथ चौहान दिल्ली सहित सैकड़ों श्रोताओं ने श्रीराम कथा का आनंद लिया। रविवार को श्रीराम कथा में राम जन्म, ताड़का वध, जनकपुर लीला का वर्णन किया जाएगा।