– राकेश अचल
देश के पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड अपने पद से इस्तीफा देने के बाद से लापता हैं। धनकड के बारे में कुछ अटकलें और सवाल उठे हैं कि उनके ठिकाने के बारे में जानकारी नहीं मिल रही है। 21 जुलाई 2025 को उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से उनकी सार्वजनिक उपस्थिति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। धनकड को अदृश्य हुए आज 21 दिन हो गए हैं।
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कल सबसे इस मुद्दे को उठाते हुए व्यंग्यात्मक टिप्पणी की और पूछा कि क्या धनकड लापता हैं और क्या वे सुरक्षित हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से उनकी स्थिति और स्वास्थ्य के बारे में स्पष्ट बयान देने की मांग की। सिब्बल ने यह भी कहा कि उन्होंने धनकड से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनके निजी सचिव ने बताया कि वे आराम कर रहे हैं, और इसके बाद कोई संपर्क नहीं हो पाया।
देश के पूर्व उप राष्ट्रपति की अनुपस्थिति को लेकर देश की चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि जिस रहस्यमय तरीके से धनकड ने अपने पद से इस्तीफा दिया था उसी रहस्यपूर्ण तरीके से वे अदृश्य हो गए हैं। पूर्व में उनके दफ्तर को सील करने और सोशल मीडिया टीम को हटाने की खबरें आई थीं। ये दावे आधिकारिक रूप से पुष्ट नहीं हैं और इन्हें अफवाह के रूप में ही देखा जाना चाहिए, क्योंकि कोई ठोस सबूत नहीं है कि धनकड वास्तव में लापता हैं।
आपको पता है कि स्वास्थ्य कारणों से धनकड की हाल में दिल्ली के एम्स में एंजियोप्लास्टी हुई थी, और संभव है कि वे अभी इलाज या आराम कर रहे हों। फिर भी सरकार या उनके परिवार की ओर से कोई आधिकारिक बयान उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में नहीं आया है। विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं और कुछ का दावा है कि उनके इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य के अलावा अन्य राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं।
अब ये आशंका भी जताई जा रही है कि धनकड को नजरबंद कर लिया गया है ताकि वे अपने इस्तीफे के रहस्य को उजागर न कर सकें। यदि धनकड नजरबंद नहीं हैं तो वे किसी से मिल क्यों नहीं रहे। यदि वे गंभीर रूप से बीमार हैं तो उनका इलाज कहां हो रहा है। उन्हें देखने देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा में सदन के नेता, संसदीय कार्यमंत्री, विपक्ष के नेता या सरकारी पार्टी के दोनों सदनों मे 422 सदस्यों में से किसी ने धनकड की खैर खबर क्यों नहीं ली? क्यों किसी के साथ उनकी कोई तस्वीर नहीं आई? कपिल सिब्बल के बयान के बाद सरकार ने या धनकड परिवार ने कोई स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया? जाहिर है कि दाल में काला तो है।
धनकड यदि गंभीर रूप से बीमार हैं तो भी चिंता का कारण है और यदि लापता हैं तो और भी गहन चिंता का कारण है। सरकार से टक्कर लेने के बाद एक जाट नेता और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार अस्पताल गए तो जीवित वापस नहीं लौटे। उनका अंतिम संस्कार तक राजकीय सम्मान से नहीं हुआ। सरकार ने जैसे मलिक के साथ हुए अप्रत्याशित व्यवहार पर मुंह नहीं खोला, वैसे ही दूसरे जाट नेता जगदीप धनकड के सवाल पर सरकार की चुप्पी रहस्यपूर्ण है। अब क्या जगदीप धनकड का पता करने के लिए किसी को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ही लगाना पडेगी या सरकार अपनी तरफ से धनकड के सुरक्षित होने का कोई सबूत देगी?
धनकड साहब 1989-91 में राजस्थान की झुंझुनू लोकसभा सीट से 9वीं लोकसभा में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते थे। वह 1993-98 के दौरान 10वीं विधान सभा राजस्थान में किशनगढ सीट से विधान सभा के सदस्य रहे। वे राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व अध्यक्ष भी रहे। पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय रहे जगदीप धनकड का अचानक गायब हो जाना सौ सवाल खडे करता है। मैंने उन्हें चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी देखा है और बंगाल के राज्यपाल के रूप में भी।
30 जुलाई 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने धनकड को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था। राज्यपाल के रूप में धनकड भाजपा के माउथपीस के रूप में बदनाम हुए। उन्होंने राज्पाल के रूप में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक दिन चैन से नहीं बैठने दिया था। इसका इनाम उन्हें मिला, 16 जुलाई 2022 को भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचा दिया, लेकिन पिछले दिनों धनकड ने तेवर बदले तो सरकार ने आनन फानन में उन्हें पद छोडने के लिए मजबूर कर दिया।
पिछले 21 जुलाई को धनकड ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देना और चिकित्सा सलाह का पालन करना चाहते थे। वह कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति बने। धनकड की न कोई औपचारिक विदाई हुई और न इस्तीफे के बाद उनकी कोई तस्वीर किसी के भी साथ सामने आई।