– राकेश अचल
वोट चोरी के खिलाफ लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के राष्ट्रव्यापी अभियान ने भाजपा नेतृत्व की नींद उडा दी है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को राहुल गांधी के सवालों का तो कोई जबाब नहीं सूझा, लेकिन वे घबडाकर राहुल गांधी के नाना और देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की शरण में पहुंच गए। उन्होने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के बचाव में कहा कि पहली बार वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण आपके परनाना जवाहर लाल नेहरू ने ही किया था।
बिहार के सीतामढी से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। शाह राहुल गांधी पर जमकर बरसे। हताशा में शाह ने आरजेडी को लालू एंड कंपनी कहकर संबोधित किया। अमित शाह ने कहा कि मैं यहां आया, लेकिन उससे पहले पूरे अखबार भरे पडे हैं कि एसआईआर होना चाहिए या नहीं होना चाहिए। शाह ने कहा कि मैं तो भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हूं, मंच पर सारे एनडीए के लोग हैं। लेकिन मैं यहां से जनता को पूछना चाहता हूं- घुसपैठियों को मतदाता सूची से निकालना चाहिए या नहीं निकालना चाहिए? चुनाव आयोग को एसआईआर करना चाहिए या नहीं करना चाहिए? मजे की बात ये है कि चुनाव आयोग अभी तक ये कहने की हिम्मत नहीं जुटा सका कि बिहार की मतदाता सूची से जो 65 लाख मतदाता हटाए गए हैं वे घुसपैठिये थे।
शाह ने ने कहा कि मुझे बताएं लालू यादव किसे बचाना चाहते हो? शाह ने कहा कि आप उनको बचाना चाहते हो जो बांग्लादेश से आकर हमारे बिहार के युवाओं की नौकरी खा जाते है। भाजपा के तमाम नेता राहुल गांधी का सामना नहीं कर पाए तो मजबूरी में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को खुद मोर्चा सम्हालना पडा। शाह केंचुआ की भी ढाल बनने की कोशिश कर हे हैं, क्योंकि केंचुआ की चोरी रंगे हाथ पकडी जा जुकी है। शाह ने कहा कि मैं आज राहुल जी से भी कहना चाहता हूं कि आप यह वोट बैंक की राजनीति बंद करिए। मतदाता शुद्धिकरण कोई पहली बार नहीं हो रहा है। यह आपके परनाना जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार शुरू किया था और अंत में यह 2003 में हुआ। तब भी कोई विरोध नहीं था। शाह ने कहा कि अब आप चुनाव-पे-चुनाव हारते जाते हो और बिहार चुनाव भी हार रहे हो, यही वजह है कि आप पहले से इस तरह की बातें करने लगे है।
भाजपा की दशा इस समय कोढ में खाज जैसी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परेशान कर रखा है। ट्रेड डील से पहले भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और इतना ही जुर्माना ठोंक दिया है लेकिन मोदीजी मौन हैं। वे मदद के लिए कभी चीन को साध रहे है तो कभी जापान को, तो कभी रूस को। उधर लोकसभा में विपकक्ष के नेता राहुल गांधी ने वोट चोरी को राष्ट्रव्यापी मुद्दा बनाकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की नींद हराम कर दी है। मोदी हों या शाह, हारकर राहुल के बजाय उनके नाना पं. जवाहरलाल नेहरू को ढाल बना लेते हैं किंतु अब जनता हकीकत समझ रही है।
लगातार 11वें साल सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा के सिर से नेहरू गांधी का भूत उतरा नहीं है। जबकि अब हर मुद्दे के लिए यदि कोई एकमेव जिम्मेदार हैं तो मोदी और शाह ही हैं। संवैधानिक संस्थाओं को पालतू बनाने और उनकी विश्वसनीयता पर बट्टा नेहरू, इन्दिरा या राजीव गांधी ने नहीं लगाया। उनके जमाने में न्यायालय भी इतना समर्थ था कि उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था। आज की अदालत इलेक्टोरल बॉण्ड से चुनाव चंदा वसूलने को असंवैधानिक करार देने के बावजूद एक रुपया भी राजसात नहीं कर सका।
बहरहाल भारत की राजनीति ने नई करवट ली है, पहली बार बैशाखी पर चल रही सरकार लंगडाती दिख रही है। यदि बिहार की जनता ने विधानसभा चुनाव के समय भाजपा की एक बैशाखी खींच ली तो मौजूदा सरकार का खेल खत्म हो जाएगा। मुझे दूर से दिखाई दे रहा है कि यदि सरकार ने हिकमत अमली से काम न लिया तो यहां भी बांगला देश और श्रीलंका जैसे हालात बन सकते हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश के भाग्य विधाताओं को तो फिर भी भारत जैसे देशों में शरण मिल गई थी, लेकिन हमारे भाग्य विधाताओं कौन शरण देगा?