सागर, 25 मार्च। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग बालिका को धोखे से ले जाकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी नीलेश पटैल निवासी अंतर्गत थाना राहतगढ़ को दोषी करार देते हुए धारा 376(3) भादंवि के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 366 भादंवि में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही) अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (बालिका) ने थाना राहतगढ़ में रिपोर्ट लेख कराई कि 28 मई 2021 को वह खेत पर गई थी तथा शाम सात बजे उसके पिता की मोटर साइकिल से दूध लेकर वापस घर जा रही थी कि रास्ते में अभियुक्त नीलेश पटेल मिला। अभियुक्त ने बालिका के पिता को बुलाकर मीट बनाने के लिए कहा और कहने लगा कि वह बालिका को छोड़ आता है और सामान भी ले आता है। फिर अभियुक्त बालिका को उसके पिता की मोटर साइकिल से सुमरेडी ले गया और फिर वापस रोड पर लाया और वह बालिका को मोटर साइकिल से घुमाता रहा, फिर अभियुक्त बालिका को सीहोरा ले गया, बालिका ने अभियुक्त से उसे छोडऩे के लिए कहने पर भी उसने बालिका को नहीं छोड़ा, बल्कि वहां उसने खेत में बालिका के साथ दुष्कर्म किया। तत्पश्चात वह बालिका को खेत में छोड़कर भाग गया। घटना के बाद बालिका ने घर आकर अपने परिजनों को घटना के बारे में बताया, फिर बालिका के परिजन उसे लेकर चौकी गए, जहां अभियुक्त के विरुद्ध घटना के संबंध में रिपोर्ट लेख कराई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना राहतगढ़ पुलिस ने धारा 376(1), 376(3) भादंवि एवं 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही-ए) अजा व जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।