मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति का होना चाहिए : विनम्र सागर

पंच कल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन भगवान आदिनाथ को मिला मोक्ष
मोक्ष के उपंरात हुआ विश्वशांति यज्ञ, शोभायात्रा के साथ विराजित कीं प्रतिमाएं

ग्वालियर, 11 मई। जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर 24 समवशरण तीर्थ अयोध्य नगरी में उच्चरणाचार्य श्री विनम्र सागर महाराज, चर्तुविद ससंघ व निदेशन मुनि श्री विज्ञ सागर व मुनि श्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में हुए पंच कल्याणक महोत्सव का बुधबार को शोभायात्रा के साथ समापन हो गया। महोत्सव के अंतिम दिन प्रभु का मोक्ष की ओर गमन हुआ। इस पूरे आयोजन में अनेक प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया गया। जिन्हें सोनागिर के 25 नंबर पाश्र्वनाथ मन्दिर एवं चार नंबर के मन्दिरों में स्थापित किया। पंच कल्याणक महोत्सव कार्यक्रम में पाषाण से भगवान बनने की प्रक्रिया हुई, जो गर्भ कल्याणक से शुरू होकर और मोक्ष कल्याणक के रूप तक हुई।


आचार्य श्री विनम्र सागर महाराज ने मोक्ष कल्याणक पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि श्रृद्धा के बिना किसी कार्य में सफलता नहीं मिल सकती है श्रृद्धा सफलता की नीव है। मोक्ष महल की सीढ़ी है, पुण्य आत्मा की भाग्य से भगवान का उपदेश होता है और नगर नगर में बिहार होता है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति का होना चाहिए, मोक्ष और स्वर्ग है या नहीं, इस पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए। क्योंकि दिन है तो रात है, सुख है तो दुख है, स्त्री है तो पुरुष है, पुण्य तो पाप है, इसी प्रकार संसार है तो मोक्ष है, स्वर्ग है तो नर्क है, क्योंकि हर चीज का जोड़ा होता है। प्रतिदिन तीन संसारी आत्माएं मोक्ष जाती है। यह क्रम अनादि काल से चल रहा है, फिर भी संसार कभी खाली नहीं होता है।

आचार्यश्री व मुनिराजों के सानिध्य में निकाली शोभायात्रा, सिर प्रतिमा विराजित निकाले

आयोजन महोत्सव के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि पंच कल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन भगवान आदिनाथ को मोक्ष प्राप्ति के उपरांत शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें इन्द्रा ने सिर पर प्रतिमाओं को लेकर चल रहे थे। शोभायात्रा में हाथी, बग्घियां, बैण्ड के साथ मुनि श्री विनय सागर महाराज ससंघ एवं महिलाएं भजन गाती हुई चल रही थी। बैण्ड के भजनो पर बालक और बालिकाएं नृत्य करते हुए चल रही थे। शोभायात्रा 25 नंबर पाश्र्वनाथ मन्दिर व चार नंबर मन्दिर में पहुंची। यहां मुनि श्री विनय सागर महाराज ने प्रतिमाओं का अभिषेक कराया। धार्मिक क्रियाओं के प्रतिमाओं को वेदी में विजमान किया।

आदिनाथ के मोक्ष के उपंरात किया विश्वशांति यज्ञ व भगवान की शांतिधारा

पंच कल्याणक महोत्सव में सुबह जैसे ही आदिनाथ को कैलाश पर्वत से निर्वाण के साथ मोक्ष हुआ। वहीं आचार्य श्री विनम्र सागर महाराज ससंघ सानिध्य में भगवान जिनेन्द्र की शांतिधारा की गई। प्रतिष्ठाचार्य पं. सुरेन्द्र कुमार जैन एवं सह प्रतिष्ठाचार्य पं. विजय जैन, संजय शास्त्री मुरैना ने मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञनायक मनीष मीना जैन, सौधर्म इन्द्र आकाश दीप्ति जैन, कुबेर दीपक निशा जैन, महायज्ञ नायक राजेन्द्र मीना, ईशान, इन्द्रा- राहुल, रितिका सहित इन्द्र-इन्द्राणियों ने विश्वशांति महायज्ञ में अग्नि प्रकाट कर पूरे विश्वशांति की यज्ञ कुण्ड मे आहूति देकर विश्व की कामना करते हुए पूर्णाहूति दी गई।