भिण्ड, 15 सितम्बर। गुरू का ज्ञान, मौलिकता और नैतिक बल, उनका शिष्यों के प्रति स्नेह भाव, तथा ज्ञान बांटने का निस्वार्थ भाव ही प्राचीन भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य के संबंधों का आधार था। यह बात भारत विकास परिषद शाखा भिण्ड द्वारा एक निजी स्कूल में आयोजित गुरू वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत शारीरिक प्रमुख कृपाण सिंह ने कही। अध्यक्षता समाजसेवी अनिल शर्मा ने की। साथ ही गणेश भारद्वाज, अनुज सक्सेना प्राचार्य, संतोष तिवारी प्रबंधक, नीरज पाठक मंचासीन रहे।
मुख्य अतिथि कृपाण सिंह ने कहा कि जो भावना उस समय के हर शिक्षक में होती थी, वहीं उस समय के शिष्य भी गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा, गुरू की क्षमता में पूर्ण विश्वास तथा गुरू के प्रति पूर्ण समर्पण एवं आज्ञाकारी होते थे, उसके अनुसार अनुशासन को शिष्य का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण गुण माना गया है, यही गुरू शिष्य परंपरा का सार है। हम एक ऐसी परंपरा का सम्मान कर रहे हैं, जो हमारी भारतीय संस्कृति का आधार है। उन्होंने इतिहास के विभिन्न उदाहरण देते हुए बताया गुरू और शिष्य के बीच के रिश्ते ने समाज को नई दिशा दी है। चाहे वह गुरू द्रोणाचार्य और अर्जुन का रिश्ता हो, चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य का, वीर शिवाजी का एवं गुरू तेग बहादुर का। इन रिश्तों ने हमें सिखाया गुरू का सम्मान और शिष्य का समर्पण ही सफलता के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गुरू-शिष्य की महान परम्परा भारत की संस्कृति का आदिकाल से एक अहम और पवित्र हिस्सा रही है। लेकिन हमारे जीवन में माता-पिता हमारे प्रथम गुरू हैं, क्योंकि वो ही हमारा इस निराली दुनिया से परिचय करवाते हैं और हमको जीवन जीना सिखाते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परिषद के वरिष्ठ सदस्य अनिल शर्मा ने बताया कि आज के आधुनिक समय में किसी भी कामयाब व्यक्ति के जीवन पर नजर डाले, तो यह स्पष्ट है कि उसको सफलता की बुलंदियों पर पहुचाने में उसके शिक्षक का अनमोल योगदान रहा है। जीवन में एक अच्छा शिक्षक अपने हर शिष्य को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान उपलब्ध करवाने का प्रयास करता है, जिससे कि उसके शिष्य का भविष्य उज्जवल हो और वो सफलता के नित नए आयाम स्थापित करके जीवन को सही मार्ग पर ले जा सके।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती एवं स्वामी विवेकानंद के छाया चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन माल्यार्पण कर किया। जिसके उपरांत गणेश भारद्वाज ने भारत विकास परिषद के पांच सूत्र संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा, समर्पण पर प्रकाश डालते हुए सभी को परिषद की परिकल्पना, कार्यों एवं गुरू वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को गुरू वंदन छात्र अभिनंदन अंतर्गत सामूहिक रूप से सदाचार व गुरुओं के सम्मान की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का संचालन शाखा सचिव राजमणि शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय परिवार से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 20 विद्यार्थियों को उपस्थित अतिथियों ने प्रमाण पत्र व मैडल से सम्मानित किया। साथ ही विद्यालय परिवार से 25 शिक्षक तथा शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।