क्या कहता है सड़कों का टूटता सन्नाटा?

– राकेश अचल


नेपाल में सोमवार से शुरू हुआ जेन-जेड प्रदर्शन अभी खत्म नहीं हुआ है कि इस बीच सुदूर यूरोपीय देश फ्रांस में एक और राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू हुआ है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की नीतियों के खिलाफ फ्रांस के लोग सड़कों पर उतर आए हैं और इस प्रोटेस्ट को ‘ब्लॉक एवरीथिंगÓ नाम दिया गया है। नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के पदभार संभालते ही लोगों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू कर दिए।
फ्रांस में राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन की वजह से सड़कों पर ट्रैफिक जाम के हालात बन गए हैं और कुछ ही घण्टे में पुलिस ने 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। स्कूलों और दफ्तरों में हड़ताल जैसे हालात बन गए। प्रदर्शन के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट, शिक्षण संस्थानों से लेकर अस्पतालों में काम बाधित हुआ है।
लोगों के अचानक सड़कों पर आने की वजह का विश्लेषण करना जरूरी है। आपको बता दें कि नेपाल में जो हुआ उसकी भनक नेपाल सरकार को तब लगी जब हालात बेकाबू हो गए। इसी तरह फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंगÓ प्रोटेस्ट की अगुवाई एक विपक्षी लेफ्ट ग्रुप की तरफ से की जा रही है, जो मैक्रों की नीतियों का आलोचक रहा है। यह प्रोटेस्ट 39 साल के नवनिर्वाचित पीएम लेकोर्नु के लिए अग्नि परीक्षा की तरह है, क्योंकि वे मैक्रों के करीबी हैं और पिछले तीन साल से फ्रांस के रक्षा मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं।
राष्ट्रपति मैक्रों ने मंगलवार देर रात लेकोर्नु को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, क्योंकि उनके पूर्ववर्ती फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हार गए थे, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। बायरू और लेकोर्नु के बीच बुधवार को ऑफिशियल हैंडओवर हुआ है। लेकिन उसी दौरान फ्रांस में बवाल शुरू हो गया। लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर आया जो मास्क लगाए हुए थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया है।
गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलो ने बुधवार को बताया कि करीब 50 नकाबपोश लोगों ने बोर्डो में नाकाबंदी शुरू की और कुछ जगह आगजनी भी की गई है। दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस में टूलूज और औच के बीच ट्रैफिक ठप हो गया। रिटेलो ने बताया कि पेरिस में भी कुछ प्रदर्शन हुए हैं। पेरिस पुलिस ने बताया कि सुबह के प्रदर्शनों में 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इन गिरफ्तारियों की वजह क्या थी।
फ्रांस के गृहमंत्री ने कहा कि पूरे देश में 80 हजार से ज्यादा सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं, जिनमें अकेले पेरिस में छह हजार जवानों की तैनाती शामिल है। रिटेलो ने बताया कि प्रदर्शन शुरू होने के कुछ ही घण्टे में पूरे देश में 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं। फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक प्रदर्शन में एक लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। बजट में कटौती, दफ्तरों में वर्क कल्चर और नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति को इस प्रदर्शन की वजह बताया जा रहा है।
खास बात ये है कि नेपाल का जैन जैड आंदोलन हो या फ्रांस का ब्लाक एवरीथिंग ददोनों सोशल मीडिया की उपज हैं। फ्रांस में भी जनता से इसी सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट्स के जरिए ‘ब्लॉक एवरीथिंगÓ प्रोटेस्ट का आह्वान किया गया था। लेकिन देखते ही देखते हजारों लोग सड़कों पर उतरकर मैक्रों की नीतियों का विरोध करने लगे। कई शहरों में नाकेबंदी, हड़ताल और प्रदर्शन हुए हैं। ये सब ऐसे वक्त में हुआ जब राष्ट्रपति मैक्रों ने 12 महीने में अपना चौथा प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।
मेरा अनुभव कहता है कि यूरोप हो या दक्षिण एशिया सभी जगह जनता कुशासन, तानाशाही से आजिज आ चुकी है। दुनिया की तमाम संसदें निरंकुश हो गई हैं। यहां तक कि अमरीका में राष्ट्रपति के प्रिय युवा नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दुख की बात ये है कि भारत इन सब घटनाओं से सबक नहीं ले रहा। भारत में मणिपुर को जलते हुए तीन साल हो चुके हैं। ये गुस्सा अब बिहार की सड़कों पर भी नजर आने लगा है। ये गुस्सा फैलता ही जा रहा है।
भारत नेपाल नहीं है, फ्रांस नहीं है, बांग्लादेश या श्रीलंका भी नहीं है। लेकिन यहां जिस तेजी से लोकतंत्र कमजोर हो रहा है उसे देखते हुए लगता है कि भारत भी बेपटरी हो सकता है।