मछलियां ही नहीं मगरमच्छों पर भी हाथ डालो मोहन जी

– राकेश अच


मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गौपालक, गौसेवक हैं, इसके बावजूद उनकी पुलिस ने भोपाल की गंदी मछलियां पकड़ी, लेकिन मगरमच्छों पर हाथ डालने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका। न पुलिस और न खुद मुख्यमंत्री जी। किंतु कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव के पुरषार्थ को ललकारा है, इसलिए बहुत जरूरी है कि वे कार्रवाई करें ताकि प्रदेश में उनके प्रति जनता का भरोसा बढ़े।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने रविवार को प्रदेश के मंत्रियों विश्वास सारंग और कृष्णा गौर को मछली परिवार का मददगार बताते हुए सीएम मोहन यादव से पूछा कि इन पर कार्रवाई कब की जाएगी। उन्होंने बाकायदा पत्र लिखकर कहा है कि सत्ता और संगठन के कई नेता मछली परिवार के संरक्षक रहे हैं। पटवारी के इस पत्र ने सूबे की सियासी हलचल बढ़ा दी।
इंदौर में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि कानून सबके लिए बराबर है। हमारी सरकार ने मछली, मगर सबको ठिकाने लगाया है। 13 सितंबर को दिए सीएम के इस बयान पर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने पत्र लिखकर पूछा कि मछली परिवार से जुड़े मंत्रियों पर कार्रवाई कब होगी? उन्होंने अन्य कई नेताओं, अफसरों पर भी सवाल उठाए। पटवारी ने अपने पत्र में लिखा- अर्श से फर्श पर पहुंचे मछली परिवार के संरक्षक बने रहने के आरोपों से घिरे हुए, आपकी काबीना के सदस्य विश्वास सारंग, कृष्णा गौर और सत्ता व संगठन के ऐसे तमाम मददगार करार दिए जा रहे चेहरों-जिनके तार मछली परिवार से बरसों बरस जुड़े रहने के पुख्ता प्रमाण आप जुटा चुके हैं के खिलाफ सख्त कार्रवाई कब करेंगे।
पटवारी से पहले समाजवादी पार्टी भी मछली परिवार के मददगार मंत्रियों पर कार्रवाई की मांग कर चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने भोपाल में प्रेस कान्फ्रेंस में दावा किया कि मुझे सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि हिन्दू युवतियों से दुष्कर्म-लव जिहाद का आरोपी शारिक मछली प्रदेश के किसी मंत्री के बच्चों की फीस चुका रहा था। हालांकि मनोज यादव ने मंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया। उन्होंने संबंधित मंत्री के इस्तीफे की मांग की थी।
सपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने यह सवाल भी किया कि सहकारिता विभाग, मंत्री विश्वास सारंग के पास है, फिर भी अब तक मछली परिवार की अवैध समितियों के टेंडर निरस्त क्यों नहीं किए? उन्होंने कहा कि प्रदेश के मंत्री आरोपी को बुलेट पर पीछे बैठाकर उसके साथ घूम रहे हैं, खुद अपने मोबाइल से सेल्फी ले रहे हैं, उन पर कार्रवाई हो। डॉ. मनोज यादव ने कोलुआ की 24 एकड़ जमीन और बैंक खातों की जांच की मांग भी की।
अब बारी डॉ. मुख्यमंत्री की है। वे सारंग और श्रीमती गौर के खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों डर रहे हैं। यही मौका है जब मुख्यमंत्री विवादित मंत्रियों को मंत्रिमण्डल से बाहर कर अपने ऊपर लगे कठपुतली मुख्यमंत्री होने के दाग को भी मिटा सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में एक वरिष्ठ मंत्री राघव जी और लक्ष्मीकांत शर्मा की बलि आखिर ली ही गई थी। राघव जी पर कुकर्म का और शर्मा जी पर भरती में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था।
मेरा अपना मानना है कि रामराज में यकीन रखने वाली भाजपा को इस मामले में निर्मम कार्रवाई करना चाहिए। क्योंकि भाजपा के सारंग पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सारंगों ने उंगली उठाई है। यदि सारंग और गौर निर्दोष साबित हो जाएं तो उन्हें फिर से मंत्री बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को याद रखना चाहिए कि तालाब को एक मछली ही नहीं मगरमच्छ भी गंदा कर सकता है।