मेहनत करने वालों का अपना संगठन है सीटू

सीटू का 52वां स्थापना दिवस मनाया

भिण्ड, 31 मई। भिण्ड में सीटू का 52वां स्थापना दिवस सदर बाजार में भवन निर्माण मजदूरों के बीच मनाया गया। कार्यक्रम में नरेन्द्र सिंह सेंगर, विनोद सुमन, अशोक शर्मा, श्रीकृष्ण बाल्मीकि, गुड्डू शेजवार, मुन्नालाल बाथम, मुकेश पवैया, जनार्दन रेड्डी आदि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सीटू नेताओं ने बताया कि मेहनत करने वाले लोगों का अपना संगठन है, उनसे देश एवं समाज विकसित होता है, मेहनत शारीरिक धूप या ठण्ड की या फिर आलीशान मकान, एसी, कमरों में बैठकर मानसिक कार्य करने वाले मजदूर हो, शारीरिक एवं मानसिक या कंप्यूटर, कलम से कार्य करने के बाद अपना व आश्रित परिवार जनों का भरण पोषण करते हैं, वह सभी मजदूर हैं। इनका आर्थिक शारीरिक शोषण या कार्य करने के बाद मेहनताना नहीं मिलता, उस समय संगठन की आवश्यकता होती है। मजदूरों के संगठन कुछ नेताओं के नाम पर चलते हैं, लेकिन यह श्रमिकों की जगह अपनी भलाई करते हैं, इन यूनियन के नेता मजदूरों के बीच से नहीं हवा हवाई थोपे जाते हैं जो अपने आकाओं का ध्यान रखते हैं। 1936 मजदूरों की गठित यूनियन का स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था, आजादी के बाद यूनियन के नेताओं की प्राथमिकता में सरकार और नेताओं के अपने हित थे। बैठकों में जूनियर या कमेठी के नेतृत्व कारी साथियों को बोलने की आजादी खत्म हो गई। 30 मई 1970 को सेंट्रल ऑफ ट्रेड यूनियन सीटू की स्थापना हुई। प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष बीटी आर ने कहा- हमारी यूनियन मेहनत करने वाले लोगों की होगी, नेताओं का चुनाव उन्हीं के बीच से किया जाएगा, दुनिया के मजदूरों एक हो नारा हमारी यूनियन का लक्ष्य होगा। मजदूरों के हक और अधिकारों की रक्षा करने के लिए सीटू संघर्ष के मैदान में हमेशा होगी, 1992 के बाद देश में 24 बार देश के विभिन्न क्षेत्रों अनेकों झण्डों, हजारों विभागों के मजदूरों अधिकारियों ने मिलकर एकता स्थापित की।