स्वयं के द्वारा की गई सेवा का ही पूण्य प्राप्त होता है : आचार्य अवस्थी

श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन गोपियों के विरह का हुआ वर्णन

भिण्ड, 10 मई। अटेर क्षेत्र के ग्राम खड़ीत में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के छठवें दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक व समाज सुधारक आचार्य मनोज अवस्थी जी महाराज ने गोपियों के विरह की कथा को सुनाकर कथा पंडाल में बैठे श्रृद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
कथावाचक आचार्य मनोज अवस्थी ने बड़े ही मनमोहक ढंग से कृष्ण की रासलीला प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि गोपियां पीपल, तुलसी तथा मालती लता से कृष्ण का पता पूछती हैं। गोपियों के मन में क्लिंग रूपी जार भाव की निवृत्ति के लिए ही भगवान ने रास रचाया अर्थात काम वासना समाप्त कर प्रेम का वितरण किया। उन्होंने कहा कि गोपियों के मन मे जो अभिमान आया था उसे दूर करने के लिए ही भगवान ने रास के बीच मे छुप गए। गोपियां व्यग्र होकर वृंदावन मे कान्हा को ढूंढती हैं, विरह वेदना में अपने प्रियतम को पुकारती हैं और भगवान दो-दो गोपियों के बीच प्रकट होकर रास रचाते हैं। वृन्दावन के निधिवन में आज भी भगवान रास रचाते हैं भगवान कृष्ण की रास कोई देख न सके इसी वजह से आज भी शाम होते ही निधिवन से सबको बाहर कर दिया जाता है, रात्रि में इंसान ही नहीं बल्कि एक भी पशु पक्षी नहीं रुकता है।


कथावाचक आचार्य अवस्थी जी महाराज ने समाज को संदेश देते हुए यह भी कहा कि सेवा का पुण्य तभी मिलता या जब हम खुद सेवा करें किसी को पैसा देकर सेवा कराओ तो पैसा भी गया और पुण्य भी नहीं मिलेगा स्वयं के द्वारा की गई सेवा का ही पूण्य प्राप्त होता है, उन्होंने यह भी कहा कि गीले से सब चिपक जाता है और सूखे से कोई नहीं चिपकता कुछ लोग सूखे (रूखे प्रवृत्ति) के होते हैं, जिनसे लोग दूर ही रहते हैं और कुछ लोग गीले (हंसमुख प्रवृत्ति) के होते हैं, जिनसे सब चिपकते हैं हमें हमेशा गीला रहना चाहिए।
श्रीश्री 108 सुंदरदास जी महाराज के आशीर्वाद से आयोजक श्याम सुंदर कटारे, पारीक्षत अवधेश कटारे के आयोजन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा कथा के छठे दिन आस-पास के गांव से सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष और भिण्ड, ग्वालियर और दिल्ली से आए अतिथियों से पंडाल भरा रहा। वहीं श्री परशुराम सर्व ब्राह्मण संघ के राष्ट्रीय व प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा आचार्यश्री का पुष्पहार डाल प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान भी किया गया। आचार्यश्री ने भी बाहर से आए सभी अतिथियों का सम्मान किया।