आदि शंकराचार्य के प्राकट्य दिवस पर एकात्म पर्व आयोजित

भिण्ड, 06 मई। एकात्म के जीवन दर्शन के प्रणेता आदि शंकराचार्य की जंयती के उपलक्ष्य में जन अभियान परिषद भिण्ड के तत्वावधान में जिला पंचायत सभागार में क्षेत्रीय विधायक संजीव सिंह कुशवाह के मुख्य आतिथ्य में एकात्म पर्व आयोजित किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस, जिला पंचायत सीईओ जेके जैन के अलावा जिला खेल अधिकारी संजय सिंह, नेहरू युवा केन्द्र के जिला समन्वयक आशुतोष साहू, जिला समन्वयक जन अभियान परिषद शिवप्रताप सिंह, एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी धीरज सिंह गुर्जर, मुख्य वक्ता आदित्य पुरी महाराज, शैलेश नारायण सिंह उपस्थित रहे।
इस अवसर पर विधायक संजीव सिंह ने कहा कि आदि शंकराचार्य देव रूप सनातन संस्कृति के प्रणेता थे। उन्होंने समाज एवं मानव कल्याण के लिए सनातन संस्कृति को अपनाने के लिए कहा और उन्होंने लोंगों को मनचिंतन एवं मनन पर आधारित विश्व की सबसे पुरानी सनातन संस्कृति को अपनाकर मानव जीवन का कल्याणकारी बनाने का जो शिक्षा दी है उसे सभी को आत्मसात करना चाहिए और अपना जीवन आत्म चिंतन पर आधारित विकासशील बनाना चाहिए।
कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने कहा कि पद प्रतिष्ठा और नाम से आपकी पहचान नहीं होती है, आपकी पहचान जिससे हो ऐसा काम करना चाहिए। उन्होंने कहा हमें यह चिंतन करना चाहिए कि हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है, यदि उसके लिए कार्य किया गया तो जीवन सार्थक है। जिला पंचायत सीईओ ने आदि शंकराचार्य को जीवन दर्शन पर आधारित समाज के लिए सनातन संस्कृति का आइना प्रदर्शित करने वाले देवतुल्य बताते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य का जीवन सनातन दर्शन का पर्याय रहा।
एकात्म पर्व को संबोधित करते हुए अदित्यपुरी महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए देश के चारों दिशाओं में मठों की स्थापना कर सर्व ब्रम्ह का आत्मसात कर इन्द्रियजीत बनने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने ब्रह्म सूत्र के लेखन के साथ-साथ आचार्य ने ब्रह्म सूत्र शिक्षा अपने शिष्यों को देना प्रारंभ किया। इसी अवधि में आचार्य ने ब्रह्म सूत्र के भाष्य के द्वादश उपनिषद भगवत गीता के साथ लगभग 16 ग्रंथों की रचना की, आचार्य ने यह कार्य मात्र चार वर्ष की अवधि में यह कार्य पूर्ण किया।
शैलेश नारायण सिंह ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने 40 वर्ष की अल्प आयु में ईश्वरलीन होने के पूर्व पूरे विश्व को सनातन संस्कृति का जो स्वरूप दिखाया है वो अद्वितीय एवं अकल्पनीय है। उन्होंने शंकराचार्य के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन जन्म से ही संत बनने की ओर प्रेरित हो गया था उन्होंने सदैव ज्ञान का आलोक प्रकाशित किया वह कभी प्रसांगिक नहीं रहे देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य आदि गुरु शंकराचार्य ने ही किया ऐसे महापुरुषों को विश्व सब युद्ध मन करता रहेगा।