नर सेवा ही नारायण सेवा है : पं. दिनेश शास्त्री

सिद्धश्री भुमिया सरकार आश्रम मेहगांव में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 29 अप्रैल। संसार में अगर पीडि़त मनुष्य मिलता हैं तो हमे उस मनुष्य की सेवाभाव से सेवा करनी चाहिए। अगर हम आज समाज में सेवा करते हैं, तो दूसरे मनुष्य को भी सेवा करने की प्रेरणा मिलती है, मनुष्य को सत्संग करना चाहिए। क्योंकि सत्संग से दया का भाव जागृत होता है, दया के भाव से सेवा का भाव जागृत होता है, इसलिए कहा गया है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। यह उद्गार सिद्धश्री भुमिया सरकार आश्रम मेहगांव मे श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा वाचक पं. दिनेशकृष्ण शास्त्री ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि समाज और राष्ट्र की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं होती, जो व्यक्ति समाज में सेवा भाव के साथ में कार्य करते है वही व्यक्ति समाज का आदर्श है, समाज में युवाओं को सही संस्कार एवं शिक्षा से सही मार्ग पर लाना ही समाज सेवा है, जब मनुष्य सत्संग करते हैं तब भगवान की भक्ति की प्राप्ति होती है और भक्ति के बाद भगवान मिलते हैं। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षत महंत श्री भगवतीदास महाराज एवं मंहत सत्यवीर महेरे हैं।