-प्राथमिक जांच में अनियमितता पाई जाने एवं लगाए गए आरोपों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए किया आदेश
भिण्ड, 08 मई। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने उपयंत्री (संविदा) मनरेगा अनिल कुमार श्रीवास्तव को प्राथमिक जांच में अनियमितता पाई जाने एवं उनके ऊपर लगाए गए आरोपों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए उनके द्वारा बगैर किसी वैध संविदा अनुबंध के किए जा रहे कार्य से पृथक कर दिया है।
कलेक्टर ने आदेशित कर कहा है कि उपयंत्री (संविदा) मनरेगा जनपद पंचायत गोहद अनिल कुमार श्रीवास्तव के संबंध में प्राथमिक जांच में अनियमितता पाई गई। जिसमें मनरेगा पोर्टल पर 9 अक्टूबर 2023 की स्थिति में जनपद पंचायत गोहद में विगत वर्षों का राशि 11.62 करोड रुपए का सामग्री भुगतान लंबित प्रदर्शित हो रहा है। उक्त लंबित भुगतान में से कुल राशि 5.53 करोड का सुदूर सडक का भुगतान लंबित है। जिसका भुगतान मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के पत्र 30 मार्च 2022 अनुसार कार्यपालन यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से कार्य की गुणवत्ता तथा उपयोगिता के परीक्षण उपरांत भुगतान किया जाना है। राज्य स्तर से अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा की गई जांच में पाया गया है कि ग्राम पंचायत सिलौहा, खेरियाजल्लू, पिपरसाना में मनरेगा अंतर्गत गैर अनुमत कार्यों के राशि 14.81 लाख के बिल विलोपन योग्य एवं गैर अनुमत कार्यों पर पूर्व में भुगतान की गई राशि 21.79 लाख रुपए वसूली योग्य है।
इससे स्पष्ट है कि उपयंत्री (संविदा) अनिल कुमार श्रीवास्तव द्वारा गैर अनुमत कार्यों के प्राक्कलन तैयार किए जाकर सहायक यंत्री को प्रस्तुत किए जाना एवं गैर अनुमत कार्यों का मूल्यांकन किया जाकर उनके द्वारा पदीय दायित्वों का निर्वहन नियमानुसार नहीं किया गया। जिस पर आयुक्त मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा उनको कारण बताओ नोटिस 8 जनवरी 2024 जारी किया गया था। जिसका जबाव श्रीवास्तव द्वारा 16 जनवरी 2024 को प्रस्तुत किया गया था। जबाव समाधानकारक न पाते हुए निष्कर्ष दिए गए कि श्रीवास्तव विकास खण्ड गोहद में 10 अप्रैल 2019 से वर्तमान तक उपयंत्री के पद पर पदस्थ हैं। उनके द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण का परीक्षण किया गया।
परीक्षण में पाया गया कि जनपद पंचायत गोहद में वर्ष 2022-23 तक सामग्री मद का कुल भुगतान राशि 842.06 लाख रुपए आज तक मनरेगा पोर्टल अनुसार लंबित है। उक्त लंबित भुगतान में से विलोपन योग्य राशि 49.02 लाख रुपए की सूची प्रस्तुत की गई, इसके साथ ही गैर अनुमत्य कार्य जिन पर राशि 716.99 लाख रुपए विधि विरुद्ध आहरित किए गए हैं, की सूची प्रस्तुत की गई है। साथ ही ऐसे गैर अनुमत्य कार्य जो मौके पर नहीं हैं अथवा मूल्यांकन अनुरूप कार्य होना नहीं पाया गया, की सूची प्रस्तुत की है। जिसकी राशि 43.58 लाख रुपए होकर भुगतान होना शेष बताया गया है।
उपरोक्त सूचियों का अवलोकन करने से प्रथम दृष्टया यह प्रमाणित है कि श्रीवास्तव द्वारा अपर आयुक्त मनरेगा परिषद की जांच के पूर्व ऐसे गैर अनुमत्य कार्यों को डिलीट करने हेतु कभी भी जनपद/ जिला अथवा परिषद स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि उपयंत्री (मनरेगा) होने के नाते यह उनका पदीय दायित्व है। उपयंत्री द्वारा कार्य का प्राक्कलन तैयार करने से पूर्व/ मूल्यांकन करने से पूर्व कार्य की श्रेणी एवं कार्य की प्रकृति का परीक्षण एएमसी (एनुअल मास्टर सर्कुलर) अनुमत्य की श्रेणी का परीक्षण आवश्यक रूप से किया जाए, जो इनके द्वारा नहीं किया गया। फलत: राशि 716.99 लाख रुपए के गैर अनुमत्य कार्यों पर अनियमित भुगतान किया गया। जबकि उनका यह दायित्व था कि ऐसे अनुमत्य कार्यों के प्राक्कलन तैयार करने से पूर्व/ मूल्यांकन करने से पूर्व अपने स्तर पर ही रोक कर वरिष्ठ कार्यालय को अवगत कराते। इनके द्वारा सुदूर सडक के सत्यापन को त्वरित गति से करने हेतु समन्वय स्थापित नहीं किया और न ही मूल्यांकन अनुसार भुगतान करने में कोई रुचि ली गई।
श्रीवास्तव द्वारा कलस्टर मुख्यालय पर निवास किए जाकर कार्य के प्रारंभ में लेआउट दिए जाने, अग्रिम अनुमोदित दौरा डायरी के अनुरूप साप्ताहिक क्षेत्र भ्रमण कर साप्ताहिक मूल्यांकन को माप पुस्तिका में रिकार्ड दर्ज करने जैसे प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए हैं, और न ही कार्यों के संबंध में व्यवस्थित नस्तियां व आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। इनके द्वारा कार्यालयीन समीक्षा बैठकों के दौरान समक्ष में अवगत कराया गया है कि क्षेत्र में लेबर उपलब्ध नहीं है, बावजूद इसके कार्यों पर मस्टर रोल जारी कर फर्जी तरीके से श्रमिकों के खातों में भुगतान कराना, उपरोक्त अनियमितता में प्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता को इंगित करता है, जो कि संविदा सेवा शर्तों के विपरीत है।
मप्र पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र 13 नवंबर 2024 द्वारा मनरेगा तृतीय श्रेणी संविदा उपयंत्री अनिल कुमार श्रीवास्तव के विरुद्ध कार्रवाई हेतु बताते हुए कार्रवाई हेतु प्रेषित किया गया है। जिस पर 16 जनवरी 2025 को पुन: कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर जबाब चाहा गया कि संविदा सेवा की अनुबंध पत्र की कंडिका 4 के तहत क्यों न उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। श्रीवास्तव द्वारा पुन: 7 फरवरी 2025 को जबाव प्रस्तुत कर आरोपों से इंकार किया है एवं अपने समर्थन में ऐसी ही अनियमितताण्ं अन्य जिलों शिवपुरी, गुना आदि में किया जाना बताया गया है। श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत जबाब में आरोपों का समाधान नहीं होता है। अनिल कुमार श्रीवास्तव उपयंत्री (संविदा) मनरेगा वर्तमान में किसी वैध संविदा अनुबंध के तहत कार्यरत नहीं है। उनके ऊपर लगाए गए आरोपों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए उनके द्वारा बगैर किसी वैध संविदा अनुबंध के किए जा रहे कार्य से पृथक किया जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभावी होगा।