एक करोड़ 12 लाख की लागत से होगा अटेर किले का जीर्णोद्धार

17 वीं सदी के स्थापत्य कला के पुरातात्विक महत्व का है अटेर किला

भिण्ड, 12 नवम्बर। जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर अटेर विधानसभा में स्थित अटेर किला में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की संभावनाएं विद्यमान है। 17वीं सदी के भदावर राजवंश के राजा बदन सिंह द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। इसमें 17वीं सदी के भदावर राजवंश की गौरवशाली इतिहास की झलक दिखाई देती है।
किले के निकट प्रवाहित होती चंबल नदी का मोहक दृश्य भी इसके सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है। नदी का यह विहंगम दृश्य बहुत ही मनमोहक है। किला परिसर में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की भी योजना है। यह नदी किले के निकट अंग्रेजी के अक्षर यू के आकार में प्रवाहित होती है। किले की प्राचीन स्थापत्य कला दर्शनीय है। किले में विद्धमान आदर्श पर्यटन स्थल की संभावनाओं के दृष्टिगत इसे विकसित करने की ओर शासन का ध्यान आकर्षित किया गया है।
सहकारिता एवं लोकसेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने बताया कि पुरातात्विक महत्व की इस धरोहर को संरक्षित करने एवं पर्यटन की संभावनाओं को आकार देने के लिए अटेर किले के जीर्णोद्धार का कार्य किया जाएगा। इसके लिए शासन से एक करोड़ 12 लाख 19 हजार की राशि की स्वीकृति भी मिल गई है। जल्द ही इसका टेंडर होकर इसका कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा, जिससे लोग किले के पुराने वैभव को देखने और पर्यटन का आनंद ले सकेंगे। आगरा, ग्वालियर व दिल्ली से आने वाले पर्यटकों के लिए यह किला दर्शनीय पर्यटन स्थल बनेगा। पर्यटक चंबल नदी के किनारे पेड़ पौधों के मध्य वादियों में प्रकृति का आनंद ले सकेंगे।
मंत्री डॉ. भदौरिया ने बताया कि प्राचीन स्थापत्य कला की निर्माण शैली वाला अटेर किला संरक्षण के अभाव में विकसित नहीं हो सका। किले के भीतरी और बाहरी स्वरूप को उसके 1 वी सदी में लाने के लिए किले का जीर्णोद्धार किया जाना आवश्यक है। जीर्णोद्धार में मुख्य रूप से किले के बाहरी मुख्य द्वार सतखंडा, दरबारे आम, हाथीखाना, दक्षिण की ओर स्थित भीतरी दीवार, भूमिगत गैलरी, सैयद गेट, किले के आंतरिक और बाहरी पाश्र्व कक्ष के संधारण और मरम्मत के कार्यों को किया जाएगा।