श्रावण के अंतिम सोमवार का खास महत्व, शिवालयों में उमडे श्रद्धालु

-अल सुबह से देर शाम तक चलता रहा दर्शन और अभिषेक का सिलसिला

भिण्ड, 04 अगस्त। श्रावण के चौथे और अंमित सोमवार को जिलेभर के शिव मन्दिरों में अल सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं और हर हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। कई श्रद्धालु कांवरें लेकर शिव मन्दिरों में भगवान शिव का अभिषेक करने पहुंचे। श्रावण के अंतिम सोमवार का विशेष महत्व बताया जाता है। इसी वजह से शिवालायों में इस अंतिम सोमवारको श्रद्धालु अधिक पहुंचे।
श्रद्धालुओं ने भगवान शिव दर्शन कर बेल पत्र, धतूरा, जल, दूध और पंचामृत से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर पूजन-अर्चन किया। महिलाएं, युवतियां, बुजुर्ग और बच्चे भी दर्शन के लिए पहुंचे। शहर के प्राचीन वनखंडेश्वर महादेव मन्दिर में अल सुबह से ही भगवान शिव के दर्शनों के लिए भीड उमडने लगी। वनखण्डेश्वर मन्दिर प्रबंधन के अनुसार सोमवार को दिनभर में करीब 8 से 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा भोलेनाथ के दर्शन किए गए। उधर अटेर जनपद के बौरेश्वर महादेव मन्दिर में भी श्रद्धालुओं की अपार भीड देखने को मिली। जहां दिनभर में करीब चार से पांच हजार श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन किए जाने का अनुमान है।
कुण्डेश्वर महादेव मन्दिर पर बने असंख्य पथ शिवलिंग, हुआ महा अभिषेक
श्रावण मास के चौथे एवं अंतिम सोमवार को कुण्डेश्वर महादेव मन्दिर सिटी कोतवाली के सामने इटावा रोड भिण्ड में असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण किए गए। तदुपरांत सभी भक्तों ने विशेष सामग्री से सामूहिक महाअभिषेक किया। जिसमें हल्दी चंदन, कुमकुम, दूध, दही, घी, शहद, पुष्प, बिल्वपत्र आदि से विधिवत पूजन कर भगवान भोलेनाथ को गौरी सरोवर में विसर्जन किया गया। इस अवसर पर मोनू महाराज ने बताया कि बाबा भोलेनाथ के पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर उनका महा रुद्राभिषेक करने से मनुष्य के सभी रोग, शोक, पाप, दरिद्रता आदि नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य को 12 महीने हर सोमवार को पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक पूजन करना चाहिए, जिससे समस्त विश्व और भारत में शांति का वातावरण रहेगा। गोलोकधाम वासी पं. देव प्रभाकर शास्त्री दद्दाजी ने संपूर्ण भारतवर्ष में करीब 135 सवा करोड महा रुद्र यज्ञ, महा रुद्राभिषेक कर समाज को जागृत करने का काम किया है, हम सभी भक्तों व दद्दाजी शिष्य मण्डल का यह कर्तव्य व दायित्व है कि उनके इस क्रम को अणुव्रत चलाते रहना चाहिए, जिससे समस्त संसार में शांति का वातावरण रहेगा और भोलेनाथ की भक्ती प्राप्त होती रहेगी। वहीं मंदिर प्रांगण में पूरे माह ऊं नम: शिवाय महामंत्र का जाप अनवरत चल रहा है, जिसमें सैकडों माता-बहिने धर्मलाभ ले रही है। आज सोमवार को कुण्डेश्वर महादेव के दर्शन के लिए हजारों भक्तों की भीड रही।
इन मन्दिरों में भी रही भीड
इसके अलावा शहर के महाकालेश्वर, अर्जेंटेश्वर, गौरेश्वर, अद्र्ध नारेश्वर, पिपलेश्वर महादेव सहित सभी शिव मन्दिरों में श्रद्धालुओं की कतारें देखी गईं। इसी प्रकार जिले भर के कस्बाई इलाकों में भी शिवालयों में श्रद्धालुओं ने शिव दर्शन कर अभिषेक किया। शिवालयों में ओम नम: शिवाय के जप और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया।
मन्दिरों में चलते रहे पाठ
श्रावण मास के दौरान मन्दिरों में भगवान शिव का रोजाना विशेष श्रृंगार किया जाता रहा। मन्दिर परिसरों में रामचरित मानस पाठ और सुंदरकाण्ड पाठ का आयोजन होते रहे। कई श्रद्धालु व्रत रखकर शिव पूजन और अर्चना में लीन दिखाई दिए।
श्रावण के अंतिम सोमवार का विशेष महत्व
शास्त्रों के अनुसार सावन का अंतिम सोमवार धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। पं. कौशलेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस दिन किया गया जलाभिषेक भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाला माना गया है। यही कारण रहा कि सोमवार को शिवालयों में अधिक श्रद्धालु पहुंचे। मान्यता है कि श्रावण के महीने में भोलेनाथ की पूजा अर्चना के दौरान बेलपत्र, पुष्प, भंग, धतूरा के साथ-साथ गंगाजल से अभिषेक करने से भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। लोगों ने घरों में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया। मान्यता है कि सावन सोमवार को पार्थिव शिवलिंग पर जल चढाने से विशेष फल प्राप्त होता है।