मोदी सरकार ने मांगे नहीं मानी तो स्थानीय स्तर पर चलाया जाएगा किसान आंदोलन

दिल्ली रैली में पहुंचे किसानों की हुई वापसी

भिण्ड, 07 अप्रैल। नई दिल्ली रामलीला मैदान में देशभर के लाखों की संख्या में किसान, मजदूर झण्डे, बैनर लेकर रैली में शामिल हुए। रामलीला मैदान में एकत्रित होकर किसान मजदूरों ने मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। इस दौरान किसान मजदूरों द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई तथा किसान मजदूर हित में नीतियां लागू करने की मांग मोदी सरकार से की गई। पांच अप्रैल को दिल्ली में रैली में शामिल होकर किसान मजूदर वापिस भिण्ड आ चुके हैं।
पूर्व से घोषित कार्यक्रम के अनुसार गोहद, मालनपुर, झांकरी, मौ, भिण्ड से सैकड़ों किसान मजदूर ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर एकत्रित हुए और चार अप्रैल की रात पातालकोट रेल से दिल्ली पहुंचे। पांच अप्रैल सुबह 10 बजे दिल्ली रामलीला मैदान में आयोजित रैली शामिल हुए। दिल्ली रैली में देशभर के लाखों किसान मजदूरों द्वारा हिस्सेदारी की गई थी। भिण्ड जिले से दिल्ली रैली में शामिल किसान मजदूरों का नेतृत्व करते हुए मप्र किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष प्रेम नारायण माहौर, किसान सभा कार्यकारी जिला सचिव वीरेन्द्र सिंह कुशवाहा, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह कुशवाहा, सचिव मुन्नालाल कुशवाहा, कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश बाथम, सीटू के नरेन्द्र सिंह सेंगर, उदय सिंह श्रीवास, लाइकराम कुशवाहा के अलावा महिला समिति से शोभा माहौर, अनीता गोस्वामी, दलित शोषण मुक्ति मंच से हरगोविन्द जाटव ने दिल्ली रैली में शामिल किसान मजदूरों के साथ एकजुटता व्यक्त की। इस मौके पर राष्ट्रपति के नाम किसान मजदूर संगठनों के राष्ट्रीय नेताओं द्वारा ज्ञापन सौंपा गया।
जैसा कि बताया गया है कि बीते डेढ़ साल पहले दिल्ली में चले किसान आंदोलन में मोदी सरकार द्वारा किसान मजदूर हित में फैसले लेने का वायदा किया था, रैली में शामिल नेताओं द्वारा उसी वायदे की याद मोदी सरकार को रैली के माध्यम से दिलाई गई। जिसमें फसलों पर एमएसपी देने, किसानों पर आंदोलन के दौरान लगाए गए केस वापस लेने, विद्युत अधिनियम 2020 वापस लेने, डीजल की रेट कम करने, खाद-बीज पर सब्सिडी देने, समस्त किसानों की कर्जा मुक्ति, छह हजार रुपए मासिक पेंशन देने, मजदूरों के खिलाफ बनाए गए चार श्रम कोड वापस लेने, रोजगार की गारंटी का कानून बनाने, महंगाई रोकने, दैनिक वेतन पर कार्यरत श्रमिक कर्मचारियों को 26 हजार रुपए मासिक वेतन देने सहित तमाम किसान मजदूर हित में काम किए जाने की मांग मोदी सरकार से राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में किसान नेताओं द्वारा की गई।

रैली में शामिल लाखों किसान मजदूरों के नेताओं ने मंच के माध्यम से मोदी सरकार को चेताया और कहा कि समय रहते किसान मजदूरों के हित में कोई कदम नहीं उठाया तो स्थानीय स्तर पर आंदोलन को तेज किया जाएगा और 2024 में मोदी सरकार को दिल्ली की राजगद्दी से हटाया जाएगा, जो किसान मजदूरों की सुनेगा किसान मजदूरों की बात करेगा। उसे दिल्ली की राजगद्दी सौंपी जाएगी। रैली एवं सभा को तीनों संगठनों के अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले (एआईकेएस), डॉ. हेमलता (सीटू), ए विजयराघवन (एआईएडब्ल्यू) ने अध्यक्षता करते हुए संबोधित किया। तीनों संगठनों के महासचिव तपन सेन (सीटू), बीजू कृष्णन (एआईकेएस) तथा वी वैंकट (एआईएडब्ल्यू) ने भी रैली एवं सभा में भाषण दिए। इसके अलावा अन्य वक्ताओं में देश के किसान आंदोलन के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्ला भी शामिल थे। सभा की शुरुआत में अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं। रैली में किसान मजदूरों की तादाद लाखों की संख्या में ही नहीं किस्में भी बहुरंगी थी, खेत मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, बिहारी मजदूर, स्थाई निजी और सार्वजनिक क्षेत्र प्रोजेक्ट कर्मी, बैंक, बीमा तक हर जगह पसीना बहा कर देश को संवारने वाले श्रमिक कर्मचारी इसमें शामिल थे, महिलाओं की भागीदारी बहुत बड़ी तादाद में थी, तमाम मजदूर महिलाएं गोद में बच्चे लेकर दिल्ली रामलीला मैदान में रैली में शामिल हुईं।
रैली की खासियत यह थी कि खेती किसानी का भारी काम कटाई चलने और बेमौसम बारिश की वजह से फसल के संकट में पडऩे की आशंका के बावजूद किसान खेत मजदूर लाखों की संख्या में दिल्ली रैली में शामिल रहे थे। इस मौके पर बल्ली बाथम, मुन्नीबाई, विमला कुशवाह, अनिल बाथम, अजय माहौर, नारायण शर्मा, श्रीलाल माहौर, गब्बर कुशवाहा, राजेन्द्र सिंह कुशवाहा, विजयराम कुशवाह, रमका बाई, रेखा तोमर, गंगाप्रसाद माहौर, रणवीर कुशवाहा, श्याम बाबू शाक्य सहित सैकड़ों किसान मजदूर रैली में शामिल रहे।