लहार अस्पताल में किशोरी की मौत

– गुस्साए परिजन बले- अगर समय पर इलाज मिल जाता तो बच जाती बेटी की जान

भिण्ड, 09 अगस्त। जिले के सिविल अस्पताल लहार में इलाज में देरी के कारण एक किशोरी की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि समय पर इलाज मिलता तो हमारी बेटी जिंदा होती। उन्होंने कहा कि यदि रेफर ही कर देते तो जान बच जाती, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इसके बावजूद गंभीर नहीं हुआ। वहीं बीएमओ का कहना है कि जांच के बाद दोषी पर कार्रवाई होगी।
जानकारी के अनुसार लहार क्षेत्र के लालपुरा गांव निवासी अनिल दोहरे की 16 वर्षीय पुत्री मधु दोहरे की तबीयत मंगलवार देर रात अचानक बिगड गई। परिजन उसे तुरंत लहार सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। गंभीर हालत को देखते हुए उसे भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन डॉक्टरों का व्यवहार हैरान करने वाला था। एक बोतल ड्रिप चढाई और फिर ड्यूटी डॉक्टर वार्ड छोडकर चले गए। न कोई दवा, न कोई जांच, न ही रेफर की प्रक्रिया सिर्फ लापरवाही और इंतजार।
रातभर तडपती रही, दिन में दम तोडा
परिजनों का कहना है कि वे रातभर डॉक्टर को ढूंढते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। हालत लगातार बिगडती गई और सुबह होते-होते मधु की सांसें थम गईं। पिता की आंखों के सामने बेटी दम तोडती रही और सरकारी अस्पताल के दरवाजे बंद थे। मृतिका के पिता का कहना था कि यदि रेफर कर दिया जाता तो समय रहते भिण्ड या ग्वालियर पहुंच जाते और बिटिया की जान बच जाती।
पोस्ट मार्टम में देरी पर गुस्साए परिजन
मौत के बाद भी अस्पताल प्रशासन की बेरुखी खत्म नहीं हुई। चार से पांच घण्टे तक पोस्ट मार्टम नहीं किया गया। परिजन पूरी रात और सुबह तक डॉक्टर का इंतजार करते रहे। गुस्साए लोग अस्पताल परिसर में हंगामा करने लगे। यह नजारा सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की नाकामी का चेहरा था। मामला तूल पकडने पर लहार सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. विजय शर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं।