नाबालिगा से अश्लील हरकत करने वाले आरोपी को तीन वर्ष का सश्रम कारावास

विदिशा, 10 नवम्बर। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश/ अनन्य विशेष न्यायाधीश पॉक्सो जिला विदिशा श्री जसवंत सिंह यादव के न्यायालय ने नाबालिग बालिका का बुरी नीयत से हांथ पकडऩे एवं गंदी-गंदी बात करने वाले आरोपी जमील खां को धार 323 भादंवि में एक हजार रुपए अर्थदण्ड, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 7/8 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(1) में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्हीए) में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। उक्त प्रकरण में पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी/ विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रतिभा गौतम ने की एवं मार्गदर्शन जिला लोक अभियोजन अधिकारी विदिशा जेएस तोमर ने प्रदान किया।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी जिला विदिशा सुश्री गार्गी झा के अनुसार अभियोजन कहानी इस प्रकार है कि 10 दिसंबर 2018 को अभियोक्त्री ने इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कराई कि दिनांक 12 अक्टूबर 2018 की शाम करीब 4:30 बजे वह अपने घर के सामने हैण्डपंप पर पानी का ड्रम धो रही थी, उसी समय आरोपी आया और बुरी नीयत से उसका हाथ पकड़ लिया, उससे गंदी-गंदी बातें करने लगा, बोला कि तू मुझसे बात क्यों नहीं करती, तो पीडि़ता ने कहा कि तू मेरा हाथ छोड़कर बात कर, तो जमील खां बोला कि यदि तू मेरी बात नहीं सुनेगी तो मैं तेरी बदनामी कर दूंगा। उसने कहा कि तू मुझसे बात मत कर, मैं अपने मम्मी-पापा को बता दूंगी और पानी भरकर अपने घर आ गई, उसकी मां मन्दिर गई थी, पापा खेत पर गए थे, घर पर भाभी थी उन्हें घटना बताई, फिर उसकी मां आई उन्हें घटना बताई इसके बाद उसके पापा आ गए थे उन्हें घटना बताई, उनके साथ रिपोर्ट कराने के लिए थाने आ रही थी, बस स्टेण्ड पर जमील ने उसके पिता को भी गालियां दीं और कहा कि यदि मेरी थाने पर रिपोर्ट की तो जान से खत्म कर दूंगा, हाथ छुड़ाने में उसके दांए हाथ की कलाई में चोट आई थी। उक्त रिपोर्ट पर से आरोपी के विरुद्ध थाना दीपनाखेड़ा जिला विदिशा में अपराध क्र.159/2018 अंतर्गत धारा 294, 354, 506, 323 भादंवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 7/8 एवं अजा/जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई एवं प्रकरण विवेचना में लिया गया तथा विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया।