हत्या के प्रकरण में चार आरोपियों को आजीवन कारावास

सागर, 10 फरवरी। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बीना, जिला सागर श्री अनिल चौहान के न्यायालय ने हत्या के आरोपीगण चैनसिंह पुत्र दयाराम कुशवाहा उम्र 24 वर्ष, दयाराम पुत्र छुट्टे कुशवाहा उम्र 52 वर्ष, भारत पुत्र दयाराम कुशवाहा उम्र 30 वर्ष, हल्काई पुत्र छुट्टे कुशवाहा उम्र 60 वर्ष, निवासीगण ग्राम बम्होरी केला, थाना बीना, जिला सागर को धारा 302/34 भादंवि में आजीवन कारावास एवं दो-दो हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 323 भादंसं में तीन-तीन माह का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए से दण्डित करने का आदेश दिया है। प्रकरण में विशेष लोक अभियोजक/सहायक जिला अभियोजन अधिकारी डीके मालवीय ने राज्य शासन की ओर से पक्ष रखा।
मीडिया प्रभारी/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सागर सौरभ डिम्हा के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि फरियादी ने 27 जुलाई 2020 को थाना बीना में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि आज को शाम 5:30 बजे उसके बड़े भाई खेत से घर आ रहे थे, तभी अभियुक्त दयाराम कुशवाहा के घर के सामने से निकले तो अभियुक्त दयाराम कुशवाहा, हल्काई कुशवाहा, चैनसिंह एवं भारत कुशवाहा बैठे थे, तभी उसके बड़े भाई ने दयाराम से कहा कि तुम लोगों ने उसके भाई के साथ सुबह मारपीट क्यों की थी। तो इसी बात पर से अभियुक्त दयाराम लाठी एवं चैनसिंह हाथ में कुल्हाड़ी लेकर पास में आया और गालियां देने लगे, तभी उसके भाई ने गालियां देेने से मना किया तो चैन सिंह ने जान से मारने की नियत से कुल्हाड़ी भाई के सिर में मारी जो कट कर खून निकलने लगा। अभियुक्त दयराम ने लाठी से फरियादी के बड़े भाई की मारपीट की, जिससे सिर में गंभीर चोटें आईं। वह चिल्लाया तो उसका छोटा भाई एवं भतीजा बचाने आए तो उनके साथ भी लाठी डंडे से मारपीट की। और कहने लगे कि अगली बार मिले तो जान से खत्म कर देंगे। उक्त घटना के संबंध में प्रकरण को पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उपचार के दौरान आहत देवकीनंदन की मृत्यु हो गई। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए। न्यायालय ने उभय पक्ष को सुना और प्रकरण के तथ्य, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर सभी आरोपीगण चैनसिंह, दयाराम, भारत, हल्काई कुशवाहा को धारा 302/34 भादंवि में आजीवन कारावास एवं दो-दो हजार रुपए के अर्थदण्ड एवं धारा 323 भादंसं में तीन-तीन माह का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए से दण्डित करने का आदेश दिया गया। मामले के काउंटर प्रकरण में भी न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि का निर्णय पारित किया गया।