– अशोक सोनी ‘निडर’
23 मार्च : अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के पुण्य स्मृति दिवस पर राष्ट्रीय कवि श्रीकृष्ण सरल की कविता के कुछ अंश श्रद्धासुमन के रूप में
मैं अमर शहीदों का चारण उनके गुण गाया करता हूं।
जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है में उसे चुकाया करता हूं।।
यह सच है याद शहीदों की हम सबने बिसराई है।
यह सच है उनकी लाशों पर चलकर आजादी आई है।।
यह सच है हिन्दुस्तान आज जिंदा उनकी कुर्बानी से।
यह सच अपना मस्तक ऊंचा उनकी बलिदान कहानी से।।
वे अगर न होते तो भारत मुर्दों का देश कहा जाता।
जीवन ऐसा बोझा होता जो हमसे नहीं सहा जाता।।
यह सच है दाग गुलामी के उनने लोहू से धोए हैं।
हम लोग बीज बोते उनने धरती में मस्तक बोए हैं।।
उनने धरती की सेवा में वादे न किए लंबे चौड़े।
मां के अर्चन हित फूल नहीं से निज मस्तक लेकर दौड़े।।
भारत का खून नहीं पतला वे खून बहाकर दिखा गए।
जग के इतिहासों में अपनी गौरव गाथाएं लिखा गए।।
उन गाथाओं से सर्द खून को में गरमाया करता हूं।
मैं अमर शहीदों का चारण उनके गुण गाया करता हूं।।
है अमर शहीदों की पूजा हर एक राष्ट्र की परंपरा।
उनसे है मां की कोख धन्य उनको है पाकर धन्य धरा।।
गिरता है उनका रक्त जहां वे ठौर तीर्थ कहलाते हैं।
वे रक्तबीज अपने जैसों की नई फसल दे जाते हैं।।
इसलिए राष्ट्र कर्तव्य शहीदों का समुचित सम्मान करें।
मस्तक देने बालों पर वह युग युग तक अभिमान करें।।
जो राष्ट्र नहीं करता ऐसा वो शीघ्र नष्ट हो जाता है।
आजादी खण्डित हो जाती सम्मान सभी चुक जाता है।।
पूजे न शहीद गए तो फिर यह पंथ कौन अपनाएगा।
चूमेगा फंदे कौन गोलियां कौन बक्ष पर खाएगा।।
पूजे न शहीद गए तो फिर आजादी कौन बचाएगा।
फिर कौन मौत के साए में जीवन के रास रचाएगा।।
पूजे न शहीद गए तो फिर यह बीज कहां से आएगा।
धरती को मां कहकर मिट्टी माथे से कौन लगाएगा।।
में चौराहे चौराहे पर यह प्रश्न उठाया करता हूं।
जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है में उसे चुकाया करता हूं।।
प्रेषक : राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार उप्र के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं स्वतंत्रता सेनानी/ उत्तराधिकारी संगठन मप्र के प्रदेश सचिव हैं।