बच्चों के संरक्षण हेतु विधिक जागरूकता जरूरी : जिला न्यायाधीश

भिण्ड, 28 सितम्बर। प्रधान न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला न्यायालय भिण्ड के आदेशानुसार तथा जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिविसेप्रा भिण्ड सुनील दण्डौतिया के मार्गदर्शन में जैन उमावि भिण्ड में ‘बाल यौन शोषण’ विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में न्यायाधीश जेएमएफसी भिण्ड सुश्री अनुराधा गौतम ने विद्यार्थियों को लैंगिक अपराधों से संबंधित कानूनों जैसे पॉक्सो अधिनियम 2012, किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों, भारतीय दण्ड सहिता 1860 में वर्णित लैंगिक अपराधों से संबंधित प्रावधानों के बारे में बताया। साथ ही संविधान में छात्र एवं छात्राओं के अधिकारों के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि प्रत्येक 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे की बाल अवस्था में संपूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास हेतु विशेष कानूनी सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। जिस हेतु भारतीय संसद द्वारा 2012 में बच्चों का यौन शोषण (निवारण) अधिनियम पारित किया गया, जिसके अंतर्गत बच्चों के साथ लैंगिक अपराध करने वाले व्यक्तियों को कठोर सजा का प्रावधान किया गया है तथा बच्चों के लिए विशेष न्यायालय की स्थापना भी की गई है जिसमें बच्चों से संबंधित अपराधों के प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। इसके साथ ही किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत ऐसे अपराधी जो 18 वर्ष से कम आयु के है, को बाल सुधार गृह में रखा जाता है, साथ ही उनके लिए भी अलग विशेष न्यायालय की व्यवस्था की गई है।
इस अवसर पर जिला विधिक सहायता अधिकारी जिविसेप्रा भिण्ड सौरभ कुमार दुबे ने विद्यार्थियों को नि:शुल्क विधिक सहायता योजना, संवैधानिक अधिकारों आदि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हर 18 वर्ष से कम उम्र का बालक नि:शुल्क विधिक सहायता के लिए पात्र है। किसी प्रकरण जिसमें कोई बालक अभियुक्त है उसके द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में तत्संबंध में आवेदन प्रस्तुत करने पश्चात उसे नि:शुल्क विधिक सहायता एवं सलाह योजना के अंतर्गत कानूनी सलाह, अधिवक्ता, कोट फीस आदि मुहैया कराया जाएगा। इस अवसर पर प्राचार्य राकेश कुमार जैन, पीएलवी सुमित यादव तथा शिक्षकगण उपस्थित रहे।