सागर, 09 सितम्बर। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर श्री आलोक मिश्रा के न्यायालय ने बीपीएल कार्ड बनाने हेतु रिश्वत मांगने व लेने वाले तहसील कार्यालय रहली के अभियुक्त बाबू महेन्द्र खरे को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) में चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। राज्य शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी विशेष लोक अभियोजक विपुस्था लोकायुक्त सागर रामकुमार पटेल ने की।
मीडिया प्रभारी (अभियोजन) जिला सागर सौरभ डिम्हा के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि आठ अक्टूबर 2015 को आवेदक साहब सिंह ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक लिखित शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया कि उसका तथा उसके मामा के लड़के धीरज सिंह व रामदास के बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए ग्राम पंचायत तिखी से फाईल तैयार करवाकर तहसील कार्यालय रहली में करीब तीन माह पहले जमा की थी, बाद में तहसील कार्यालय रहली के बाबू महेन्द्र खरे से मिला तो सभी से 1500-1500 रुपए ले लिए, बाद में छह अक्टूबर 2015 को जब आवेदक बाबू महेन्द्र खरे से मिला तो उसने तीन-तीन हजार रुपए और रिश्वत की मांग की, वह बाबू महेन्द्र खरे को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। शिकायत किए जाने पर शिकायत का सत्यापन कराया गया। आरोपी बाबू महेन्द्र खरे द्वारा आवेदक से रिश्वत राशि की मांग की जाना और रिश्वत राशि लेने के लिए सहमत पाए जाने पर धारा 7 भ्रष्टाचार अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध किया गया और ट्रेप आयोजित किया गया। ट्रेप 10 अक्टूबर 2015 को आरोपी बाबू महेन्द्र खरे ने आवेदक साहब सिंह से एक हजार रुपए की रिश्वत राशि ग्रहण की। तत्पश्चात आरोपी महेन्द्र खरे को रंगे हाथ पकड़ा गया। आरोपी बाबू महेन्द्र खरे की आवाज के नमूने लिए जाकर रिश्वत मांग वार्ता में दर्ज आवाज से उसका मिलान कराया गया जो मिलान होना सही पाया गया। विवेचना के दौरान भ्रष्टाचार अधिनियम धारा 12, 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) का इजाफा किया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। आरोपी द्वारा विचारण की मांग किए जाने पर न्यायालय में विचारण प्रारंभ किया गया। विचारण दौरान अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य तथा किए गए तर्कों से सहमत होते हुए विद्वान न्यायाधीश ने आरोपीगण के विरुद्ध संदेह से परे मामला प्रमाणित पाया। फलत: आरोपी को कठोर कारावास से दण्डित किया गया है।