भिण्ड, 28 अगस्त। अभी किसानों की फसल बुबाई का समय है तथा जिले में जहां जहां किसानों द्वारा धान की फसल पैदावार की गई है वहां किसानों को धान की फसल के लिए यूरिया खाद की बहुत आवश्यकता है। फसल बुवाई में डीएपी खाद की जरूरत है, मगर खाद आसानी से तय कीमत पर उपलब्ध नहीं है। स्टॉक की कमी बताकर खाद की कालाबाजारी की जा रही है। प्राइवेट दुकानों पर सरकारी खाद पहुंचाया जा रहा है और किसान लम्बी लाइन लगाने के लिए मजबूर है। गांव से चलकर किसान कस्बे में आता है, खरीद केन्द्र पहुंचता है। जब खाद नहीं मिलता है तो वह लौटकर वापिस गांव चला जाता है और यह क्रम लगातार जारी है। जिला स्थानीय प्रशासन खाद उपलब्ध होने का दावा कर रहा है मगर खाद मिलता नहीं है ऐसे दावे करने से क्या फायदा है। मप्र सरकार खाद संकट की जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं है जबकि मप्र की भाजपा सरकार खाद संकट के लिए जिम्मेदार है। यह आरोप पत्रकार वार्ता में मप्र किसान सभा के जिलाध्यक्ष तथा पूर्व गोहद नगर पालिका अध्यक्ष प्रेमनारायण माहौर, जिला महासचिव राजेश शर्मा, उपध्यक्ष राजेन्द्र सिंह कुशवाह, अहिवरन सिंह मौर्य रणवीर सिंह माहौर ने संयुक्त रूप से लगाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि मंत्री गैर जिम्मेदार बयान देते हैं कहते हैं यह हमारे मंत्रालय का काम नहीं है। कृषि प्रधान प्रदेश में किसान खाद संकट और काला बाजारी से जूझ रहा है। केन्द्र सरकार का रवैया भी राज्य सरकार से भिन्न नहीं है। केन्द्रीय कृषि मंत्री जो प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं उनका भी बयान था कि राज्य में खाद उपलब्ध कराना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है केन्द्र की नहीं। राज्य सरकार जरूरत अनुसार केन्द्र सरकार से प्रस्ताव भेजकर मांग करती है उसके अनुसार केन्द्र राज्य को खाद सप्लाई करता है। अगर ऐसी बात है तो समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद की मांग क्यों नहीं की गई जबकि डबल इंजन की सरकार है। अगर केन्द्र से भिन्न राज्य सरकार होती तो केन्द्र पर राज्य सरकार खाद के लिए दोषी कहती।
कलेक्टर, भिण्ड विधायक में हुई तकरार से यह साबित होता है कि खाद के संकट के समाधान के लिऐ सत्तारूढ विधायक को धरना देना पडता है और जिला कलेक्टर पर उनके सामने चोरी कराने का भिण्ड विधायक द्वारा सरेआम आरोप लगाया जाता है। सत्तारूढ विधायक धरना दे रहे थे अगर अन्य विपक्षी दल तथा किसान कलेक्टर के बंगले पर खाद को लेकर पहुंचते कलेक्टर का मिलना तो दूर की बात है बयान होता कि विपक्षी दल एवं किसानों के ऊपर दमन क आवाज को दबाया जाता।
मप्र किसान सभा शुरू से मांग कर रही है कि पर्याप्त मात्रा में किसानों को सीजन के हिसाब से खाद उपलब्ध कराया जाए। मगर शासन एवं प्रशासन पर जूं नहीं रेंग रही है। मप्र किसान सभा द्वारा आगामी दिनों में खाद के लिए सडक पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। जल भराव, अतिवृष्टि का भी बुरा असर है। ज्वार-बाजरा, तिली इत्यादि बोने से किसान वंचित हो गया। सर्वे हुआ नहीं तथा किसी प्रकार का मुआवजा भी नहीं दिया गया है। आगे आने वाली रबी फसल की बुआई के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया, डीएपी खाद की आवश्यकता होती है जबकि वर्तमान में खाद की किल्लत है। गांव में गरीबों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है पट्टे के लिए दलित घूम रहे हैं कब्जा असरदारों का है। बिजली संकट भी कम नहीं है। बिजली की आंख मिचौली होती है। स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं जो प्रीपेड मोबाइल जैसा काम उन स्मार्ट मीटरों का रहेगा। 25 हजार रुपए प्रति वसूली स्मार्ट मीटर पर उपभोक्ताओं से वसूल की जाएगी। खाद, आवास, अतिवृष्टि बेदखली, बिजली, विस्थापन आदि की जिले में बुरी हालत है।
मप्र किसान सभा अपने अन्य जन संगठनों के साथ मिलकर आगामी 25 सितंबर को भोपाल में रैली करेगी, जिसमें सभी जनहित के मुद्दे उठाए जाएंंगे तथा राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा उसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।