रिश्वत की मांगने वाले सहायक उपनिरीक्षक को चार वर्ष की सजा

न्यायालय ने आरोपी पर दस हजार का जुर्माना भी लगाया

शाजापुर, 09 सितम्बर। विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जिला शाजापुर श्रीमती नीतूकांता वर्मा के न्यायालय ने केस दर्ज करने की धमकी देकर रिश्वत की मांगने वाले आरोपी रामचरण नावरिया (तत्कालीन सहायक उपनिरीक्षक) पुलिस थाना मोहन बड़ोदिया, जिला शाजापुर को दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माना तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)बी, सहपठित धारा 13(2) में चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।
अभियोजन जिला मीडिया प्रभारी शाजापुर एवं पैरवीकर्ता विशेष लोक अभियोजक जिला शाजापुर सचिन रायकवार ने बताया कि आरोपी रामचरण नावरिया सहायक उपनिरीक्षक पुलिस थाना मोहन बड़ोदिया ने 18 जुलाई 2018 को आवेदक उदय सिंह से मकान में अवैध रूप से मुरम डलवाए जाने पर केस दर्ज करने की धमकी देकर 10 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। इसके बाद 27 जुलाई 2018 को थाना मोहन बड़ोदिया में कक्ष के अंदर आरोपी रामचरण ने आवेदक उदय सिंह से आठ हजार रुपए रिश्वत की मांग की और दो हजार रुपए रिश्वत में लिए जाने पर सहमत हुआ। इसके बाद एक अगस्त 2018 को दोपहर के लगभग 2:35 बजे देवकिशन राठी के मकान के पास सारंगपुर रोड, मोहन बड़ोदिया जिला शाजापुर में आवेदक उदय सिंह से आरोपी रामचरण ने केस दर्ज न करने के एवज में दो हजार रुपए रिश्वत राशि प्राप्त की। लोकायुक्त पुलिस उज्जैन ने संपूर्ण अनुसंधान पश्चात चालान विशेष न्यायालय शाजापुर में प्रस्तुत किया। न्यायालय के समक्ष विशेष लोक अभियोजक सचिन रायकवार ने लिखित में अंतिम तर्क भी प्रस्तुत किए। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी को न्यायालय ने दण्डित किया है। आवेदक उदय सिंह द्वारा स्वयं विपुस्था लोकायुक्त उज्जैन में उपस्थित होकर आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया एवं सभी कार्रवाईयों में स्वेच्छया भाग लिया। फिर भी प्रकरण में न्यायालयीन साक्ष्य के दौरान विपरीत कथन देकर आवेदक उदय सिंह ने न्यायालय के समक्ष साशय मिथ्या साक्ष्य दी व गढ़ी गई होने पर अभियोजन के निवेदन पर न्यायालय ने आवेदक उदय सिंह के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने का निर्देश भी दिया है।