चैत्यालय जैन मन्दिर में चातुर्मास में चल रहे हैं मुनिश्री के प्रवचन
भिण्ड, 04 सितम्बर। जहां सत्य नहीं है वहां कुछ भी नहीं है, जहां सत्य है वहीं पर धर्म है, सत्य के बिना धर्म हो ही नहीं सकता, सत्य के अभाव में संयम, तप, त्याग, क्षमा, ब्रह्मचर्य आदि नहीं हो सकते। सत्य के साथ ही क्षमा, संयम, दान, पूजा आदि धर्म ठहर सकते हैं। जिसके पास सत्य नहीं उसका कोई विश्वास नहीं करता। असत्य बोलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा विश्वासघाती होता है। यह विचार मुनि श्री विश्रांत सागर महाराज ने चैत्यालय जैन मन्दिर में चल रही धर्मसभा में व्यक्त किए।
मुनि श्री विश्रांत सागर महाराज ने कहा कि असत्य बोलने वाला अपनों को धोखा देता है, सत्य यश का मूल कारण है। सत्य विश्वास का परम कारण है। सत्य ही स्वर्ग का द्वार है तथा सत्य ही मोक्ष की सीढ़ी है। इसलिए अपने प्राण जाने पर भी सत्य को नहीं छोडऩा चाहिए। सत्य की सत्ता शाश्वत होती है। सत्य को दबाया जा सकता है, परंतु नष्ट नहीं किया जा सकता। कुछ माताएं अपने बच्चों को स्वयं झूठ बोलना सिखाती हैं, कोई भी वस्तु एक हाथ में लेकर दूसरे हाथ को खाली दिखाकर बच्चों से कहती हैं कि हउआ ले गया, बच्चा कभी-कभी समझ जाता है कि मां झूठ बोल रही है तो धीरे-धीरे बच्चा भी झूठ बोलना शुरू कर देता है। सत्य ही ईश्वर है क्योंकि सत्य से ही ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं।
सोमवार दोपहर दो बजे से मुनिश्री के ससंघ सानिध्य में जिन मन्दिरों के दर्शन करने सभी शिविरार्थी जाएंगे। प्रवचन सभा में रविसेन जैन, अशोक जैन महामाया, प्रवीण जैन, मनोज जैन बिच्छू, सोनू जैन, विकास जैन, सुरेन्द्र जैन (शक्कर), अन्ना जैन, रमेश जैन (गढ़ा), संजय जैन, आकाश जैन, बंटी जैन, कल्लू जैन, नीलू जैन, नीरज जैन, रिंकू जैन, संगीता पवैया, रेखा जैन, मंजू जैन, सुनीता जैन, ज्योति जैन, गोलू जैन बिजपुरी, रिंकू जैन भारौली, नरेश जैन, नेपाली जैन, पंकज जैन, दिनेश जैन, सौरभ जैन, शैलू जैन, मनोज जैन पुलावली, आकाश जैन सहित जैन समाज के लोग मौजूद रहे।