श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनकर झूम उठे श्रोता

मिहोना, 05 अगस्त। नगर के वार्ड क्र.10 में स्थित मठ वाले हनुमानजी मन्दिर के प्रांगण में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। जिसमें वाचक पं. श्रीहित आशीष महाराज ने हिरण्य कश्यप वध, श्री कृष्ण जन्म एवं बाल चरित्र की कथा सुनाई। भगवान के जन्म के उपरांत पूरा पण्डाल जगमगा उठा और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गूंज से पण्डाल गूंज उठा। कथा व्यास ने सुंदर भजन गायन के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के आनंद को आनंदित कर दिया।


भागवताचार्य श्रीहित आशीष महाराजने कहा कि पाप जब बढ़ता है तो भगवान का अवतार होता है, उनके अवतार से सब भक्तों का बेड़ा पार होता है, धर्म की स्थापना के लिए भगवान लेते हैं अवतार। उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा सबसे बढ़ा पुण्य होता है, माता-पिता संसार मे प्रत्यक्ष देवता हैं, इनकी सेवा ही सबसे बड़ा भजन है। आप भजन न करें, मन्दिर न जाएं, कथा न सुनें चलेगा, पर यदि आप अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते हैं तो नहीं चलेगा, जो व्यक्ति अपने माता-पिता को कष्ट देता हैं, वो जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकते, माता पिता की आंखों से जीवन में सिर्फ दो ही बार आंसू निकलते हैं, एक जब बेटी घर छोड़कर जाती है और दूसरा जब बेटा मुख मोड़ता है तब। भगवान राम ने भी कहा है कि वही पुत्र भाग्यवान होता है जो माता-पिता के वचनों को मानता है, ऐसे व्यक्ति की मुट्ठी मे पुण्य के चारों पदार्थ होते हैं- अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष। जिनको माता-पिता के लिए बेटा प्राणों से प्रिय होता है, बेटे के लिए कितने भी कष्ट सहन करते हैं, कितनी भी सर्दी पड़ रही हो, बालक यदि बिस्तर पर पिशाब कर लेता है तो माँ उसे सूखे में लेटाकर खुद रातभर गीले में लेटी रेहती है, एक माता के कितने भी बच्चे हों, उनका पालन पोषण करने में उसे कभी कोई कष्ट नहीं होता, पर विडंबना तो ये है कि जब वह बूड़े हो जाते हैं, तब 10 पुत्र भी मिलकर अपने माता-पिता को सुखी नहीं रख पाते। श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए दूर दराज से भारी संख्या में आए श्रोतागण कथा समापन के बाद आरती में झूम उठे। बाद में सभी को प्रसादी बितरण की गई। कथा का संचालन समाजसेवी डॉ. ओमप्रकाश पचौरी ने किया। इस अवसर पर पारीछत नगर के प्रसिद्ध व्यापारी कैलाश गुप्ता गोरई वालों को बनाया गया है।