-वर्षों से लंबित मुकद्दमे से छुटकारा पाकर लोगों के चेहरे पर दिखी खुशी
भिण्ड, 14 दिसम्बर। जिले में नेशनल लोक अदालत का आयोजन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड राजीव कुमार अयाची के निर्देशानुसार एवं सीनियर विशेष न्यायाधीश एवं समन्वयक अधिकारी नेशनल लोक अदालत मनोज कुमार तिवारी तथा जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भिण्ड हिमांशु कौशल के मार्गदर्शन में किया गया। लोक अदालत के आयोजन हेतु जिला मुख्यालय भिण्ड एवं न्यायिक तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार हेतु कुल 24 न्यायिक खण्डपीठों का गठन किया गया, जिसके फलस्वरूप जिला मुख्यालय भिण्ड एवं तहसील मेहगांव, गोहद एवं लहार में लंबित 547 न्यायालयीन प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें 1554 पक्षकार लाभान्वित हुए तथा एक करोड 27 लाख 88 हजार 111 रुपए का अवार्ड पारित किया गया।
उक्त प्रकरणों के अतिरिक्त प्रीलिटिगेशन जिनमें जलकर संपत्तिकर, विद्युत बीएसएनएल, बैंक आदि के कुल प्रीलिटिगेशन 866 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें 2175 व्यक्तियों को लाभान्वित किया गया तथा उक्त प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में कुल 89 लाख 19 हजार 276 रुपए की राशि वसूल की गई। वर्ष 2024 की अंतिम नेशनल लोक अदालत में गठित खण्डपीठों द्वारा कई मामलो में पक्षकारों के मध्य आपसी कटुता को समाप्त करते हुए दोनों पक्षों को मिलाने का कार्य किया गया तथा सफल प्रकरणों में पक्षकारों को पौधे भेट कर उन्हें जीवन में विवाद को समाप्त करने तथा शांतिपूर्वक सुखी एवं समृद्ध जीवन व्यतीत करने की सलाह भी दी गई।
दाम्पत्य जीवन का फिर से शुभारंभ
खण्डपीठ क्र.एक के पीठासीन अधिकारी मोहम्मद सैय्यदुल अबरार प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय भिण्ड के न्यायालय में लंबित प्रकरण जिसमें आवेदिका विनीता जैन पत्नी विनोद जैन निवासी पुस्तक बाजार भिण्ड हाल निवासी पेच नं.एक आदर्श कॉलोनी इटावा रोड भिण्ड का विवाह अनावेदक विनोद जैन पुत्र सनत कुमार जैन उर्फ हरी जैन निवासी सदर पुस्तक बाजार भिण्ड के साथ 18 वर्ष पूर्व हिन्दू विधि के अनुसार संपन्न हुआ था। उभयपक्ष के मध्य आपसी विवाद हो जाने के कारण आवेदिका ने 27 जुलाई 2023 को अनावेदक अपने पति से वैवाहिक संबंधों के पुर्नस्थापना हेतु धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम का प्रकरण प्रस्तुत किया था। उभयपक्ष लोक अदालत में कुटुम्ब न्यायालय खण्डपीठ के समक्ष उपस्थित हुए, उभयपक्ष को साथ-साथ रहने की समझाइश दी गयी तो उभयपक्ष साथ रहकर दांपत्य जीवन का निर्वहन करने के लिए तैयार हुए तथा प्रकरण राजीनामा के आधार पर समाप्त किए जाने का निवेदन किया। उक्त लोक अदालत के दोनों पक्षों द्वारा दांपत्य जीवन का निर्वहन स्वेच्छापूर्वक करने एवं एक साथ रहने के आधार पर साथ-साथ रहने के लिए न्यायालय से ही भेजा गया। इस प्रकार दोनों पक्षों को त्वरित न्याय मिला और एक बिखरा हुआ परिवार फिर से एक हुआ। उक्त दोनों पक्षकारगणों द्वारा एक-दूसरे को फूल मालाएं पहनाई गई तथा उन्हें पीठासीन अधिकारी द्वारा फलदार पौधे स्मृति स्वरूप भेंट किए गए तथा उन्हें सुखी दांपत्य जीवन की शुभकामनाएं दी गई।