कम लागत में अधिक उत्पादन का आधार एनपीके का है कमाल

  • धान, बाजरा, ज्वार तिल फसल हेतु पौषक प्रबंधन उर्वरक की मात्रा जनहित में जारी
  • उप संचालक कृषि ने यूरिया के साथ एनपीके और एसएसपी का अधिक से अधिक उपयोग करने किसान भाईयों से की अपील
  • भिण्ड, 02 जुलाई। उप संचालक कृषि रामसुजान शर्मा ने बताया कि जिले में खरीफ में बाजरा के बाद धान मुख्य फसल के रूप में उगाई जाती है। किसी भी फसल के अधिकतम तथा गुणवत्ता पूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में पोषण प्रबंधन करना अति महत्वपूर्ण है। इस परिपेक्ष्य में भिण्ड जिले में ज्यादातर किसान भाई फसलों में असंतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करते हैं जिससे मृदा का स्वास्थ्य खराब होता है, अभी जिले की मुख्य फसल बाजरा है, मानसून प्रारंभ होते ही किसान भाई फसल हेतु खेतों में उर्वरक डाल रहे हैं।
    यहां फसल के उच्चतम उत्पादन के लिए वैज्ञानिक अनुशंसा उर्वरकों हेतु की गई है। जिससे प्रति हेक्टेयर लागत भी कम हो और उत्पादन अधिकतम लिया जा सके। इसके अतिरिक्त किसान भाई डीएपी की ज्यादा मांग करते हैं यहां किसान भाईयों को समझना होगा की किस फसल के लिए कौन-सी खाद उपयुक्त है और किस मात्रा में किस प्रकार दिया जाना है। डीएपी में दो तत्व होते हैं 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस, इसकी फास्फोरस मात्र 39 प्रतिशत पानी में घुलनशील है शेष मिट्टी में बॉण्ड हो जाता है। डीएपी दलहनी और फूल वाली फसलों के लिए उपयुक्त खाद है, इसकी कीमत प्रति 50 किलो 1350 रुपए है, इसकी तुलना में दानेदार फसलों के लिए एनपीके जो 12:32:16 तथा 16:16:16 फॉम्यूलेशन में आता है, ये विशेषत: धान, बाजरा, ज्वार फसल के लिए सबसे उपयुक्त खाद माना जाता है। इसका फास्फोरस डीएपी की तुलना में पानी में अधिक घुलनशील है, लगभग इसका फास्फोरस 90 प्रतिशत घुलनशील है जो फसल को आसानी से उपलब्ध हो जाता है साथ ही इसमें पोटाश भी 16 प्रतिशत होता है जो दाने में चमक के लिए होता ह,ै। तथा इसकी कीमत भी 1250 प्रति 50 किलो बैग है जो डीएपी से 150 रुपए कम है। अत: फसल के लिए आधार रूप में किसान भाई डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग कर फसल को ज्यादा और कम लागत में उगा सकते हैं।
    उप संचालक कृषि रामसुजान शर्मा ने किसान भाईयों से अपील कर कहा है कि यूरिया के साथ एनपीके और एसएसपी का अधिक से अधिक उपयोग करें। सभी किसान भाई फसल अनुसार अनुशंसित मात्रा में ही उर्वरक का उपयोग करें और लागत कम कर अधिक उपज प्राप्त करने हेतु प्रयास करें और धरा को स्वस्थ बनाएं। धान के लिए केवीके लहार के वैज्ञानिकों ने एनपीके 12:32:16, 188 किलो, यूरिया 168 किलो, एनपीके 16:16:16 मात्रा 230 किलो, यूरिया 170 किलो मात्रा की अनुसंशा की है।