आलू, प्याज, टमाटर से तौबा कीजिये

– राकेश अचल


मुझे आज अपने सूबे यानि मप्र के आम बजट पर लिखना था, लेकिन नींद खुली तो आलू, प्याज और टमाटर सामने खड़े थे। तीनों ने हाथ जोडक़र अनुनय-विनय की कि आज किसी दूसरे विषय पर लिखने के बजाय हम तीनों पर लिख दीजिए। हम तीनों इस देश की हरेक सब्जी मण्डी के अमर-अकबर-एंथोनी हैं। हम मामूली लेखक ‘यानि हमसे कोई भी पूछ सकता है कि आप किस खेत की मूली हैं?’ इसलिए हमने इन तीनों का आग्रह मान लिया और आज हमारा विषय ये तीनों कंद-मूल, फल हैं।
भारत में आलू-प्याज और टमाटर कहां से और कैसे आए, इस बारे में आपको कोई ज्ञान दने वाला नहीं हूं। ऐसा करना सियासत की तरह गड़े मुर्दे उखाडऩे जैसा होगा। हमारे लिए ये तीनों हमारे अपने हैं। इन तीनों के बिना भारत में पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक किसी का भी काम नहीं चलता। जैसे राजनीति में एक समय में बिना लालू के काम नहीं चलता था वैसे ही रसोई में बिना आलू के काम नहीं चलत। लालू जी राजनीति से समय के साथ आउट हो गए लेकिन आलू जहां खड़ा था, वहीं खड़ा है। उसकी कद्र और दाम लगातार घटते-बढ़ते रहते हैं। इस समय आलू हो या प्याज, प्याज हो या टमाटर हर भारतीय को रुला रहे हैं।
संसार में आलू मोहन-जोदड़ो की सभ्यता की तरह पुराना है। कोई सात हजार साल से दुनिया में उगाया और खाया जा रहा है। हम भारतीय कृतज्ञ हैं पेरू वासियों के जिन्होंने ने इस नायब कंद को मरने नहीं दिया। आलू की पैदाइश के मामले में पेरू विश्व गुरू है। पूरी दुनिया आलू की दीवानी है। पूरी दुनिया में हर साल 315 मिलियन टन आलू पैदा किया जाता है और खाया जाता है। आज भारत में आलू 40 से 50 रुपए किलो के भाव से बिक रहा है। प्रेमचंद के उपन्यास के नायक यदि आज होते तो आलू भून कर खाने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। मेरा ख्याल है कि हमारी सरकार को आलू, टमाटर और प्याज के आसमान छोटे भावों को देखकर देश के उन 90 करोड़ लोगों को मुफ्त में ये शाक त्रयी मुहैया कराना चाहिए जो पांच किलो अन्न पर निर्भर हैं।
प्याज की बात कीजिए तो इसके बिना भी दुनिया में किसी का गुजरा नहीं होता। दुनिया के 170 देश हर साल 90 लाख हैक्टेयर में प्याज पैदा करते है। दुनिया में हर साल 74,250,809 मीट्रिक टन प्याज पैदा की जाती है और खाई जाती है। हमारे यहां प्याज साझा संस्कृति का प्रतीक है। इसे हिन्दू भी खाता है और मुसलमान भी, लेकिन प्याज की खपत की असली वजह ये है कि हमारे यहां नया मुल्ले (धर्म गुरू) आम आदमी से कुछ ज्यादा प्याज खाते है। हमारे यहां प्याज खाई ही नहीं जाती, अपने विरोधियों की प्याज छीली भी जाती है और काटी भी जाती है। अकेली प्याज ऐसी है जो सस्ती हो या मंहगी काटने वाले को रोने पर मजबूर जरूर करती है। आज-कल प्याज भी आलू की तरह 50 रुपए किलो के भाव से मुश्किल से मिल रही है।
घर में आलू और प्याज हो किन्तु टमाटर न हो तो खाने का जायका बनता ही नहीं है। टमाटर लाल हो या पीला या हरा खाया जाता है। टमाटर खाने-पीने के जायकों में खटास पैदा करता है, लेकिन टमाटर की खटास कभी रिश्तों को तोड़ती नहीं बल्कि जोड़ती है। टमाटर विश्व बंधुत्व का सबसे बड़ा उदाहरण है। आप दुनिया के किसी भी हिस्से में जाइये आपको टमाटर किसी न किसी रूप और रंग में मिल ही जाएगा। दुनिया वाले हर साल 186 मिलियन तन टमाटर पैदा कर हजम कर जाते हैं। टमाटर के बिना साग-सब्जीमन सुर्खी ही नहीं आती, यानि ‘टमाटर है जहां, सुर्खी है वहां’। दुनिया को टमाटर खाते हुए 500 साल होने वाले है। मैक्सिको से मकराना तक टमाटर की जरूरत होती है। आज-कल टमाटर सर सौ रुपए किलो के भाव पर भी उपलब्ध नहीं हैं। आज की तारीख में केवल वे लोग टमाटर खा सकते हैं जो कम से कम लखपति है। आम आदमी के लिए इन दिनों आलू-प्याज और टमाटर एक ख्वाब जैसे हैं।
देश में आज कल बजट का मौसम है। केन्द्र से लेकर राज्यों की सरकारें तक अपना-अपना बजट पेश कर रहीं हैं, लेकिन किस भी सरकार का आलू, प्याज और टमाटर पर कोई ध्यान नहीं है। सरकार को शायद पता ही नहीं है कि इन तीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। कायदे से सरकार को मानसून के सीजन में हर भारतीय को आलू-प्याज और टमाटर पार उसी तरह राज सहायता (सब्सिडी) देना चाहिए जैसे की रसोई गैस पर दी जाती है। रसोई में गैस हो और आलू-प्याज-टमाटर न हों तो क्या फायदा? सरकार को आम आदमी की फिक्र कर तत्काल आलू-प्याज और टमाटर खरदने वालों के लिए राज सहायता की घोषणा करते हुए अध्यादेश जारी कार देना चाहिए। मेरी गारंटी है कि 18वीं लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी भी सरकार का समर्थन करेंगे। उन्हें इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े होना ही पड़ेगा।
मेरी आदत है कि मैं दिनभर चाहे टीवी देखूं या न देखूं किन्तु रात को आठ बजे टीवी जरूर देखता हूं। क्योंकि रात आठ बजे अक्सर हमारे देश के प्रधानमंत्री जी राष्ट्र को संबोधित करने आते रहते हैं। मुझे आस लगी रहती है कि प्रधानमंत्री देश की अवाम को महंगे आलू, प्याज और टमाटर से बचने के लिए सब्सिडी की घोषणा करेंगे। कुछ नहीं तो जैसे अनेक प्रदेशों में सरकार खुद शराब बेचती है ठीक उसी तरह सरकारी तौर पर दुकानें खोलकर ये तीनों सामान जनता को मुहैया कर सकती है। सरकार आलू-प्याज और टमाटर की उचित मूल्य की दुकाने खोलकर न केवल यश कमा सकती है बल्कि ऐलोपी के नेताओं का भी बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकती हैं।
आपको सच बताऊं कि जब से देश में आलू-प्याज और टमाटर यानि सब्जी मण्डी के अमर, अकबर और एंथोनी के भाव बढ़े हैं, मैंने इन तीनों का किफायत से इस्तेमाल शुरू कर दिया है। आलू के साथ कभी पूरा टमाटर इस्तेमाल नहीं करता, आधा ही करता हूं। इसी तरह प्याज का इस्तेमाल भी आधा ही रह गया है। लेकिन आलू में ज्यादा कटौती नहीं हो पाई। आलू-प्याज और टमाटर के दामों के आसमान पर पहुंचने के लिए न मोदी जी जिम्मेवार हैं और न राहुल गांधी। इसके लिए जिम्मेदार हैं इन्द्र देव। उनके द्वारा की जा रही अतिवृष्टि से ये सब महंगे हुए हैं। हमें अपना वो जमाना याद आ रहा है जब दस पैसे में एक किलो टमाटर आ जाते थे। अब इन तीनों से तौबा करने का समय आ गया है।