नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का कठोर कारावास

रायसेन, 27 मई। अपर सत्र न्यायाधीश तहसील गौहरगंज, जिला रायसेन के न्यायालय ने नाबालिग बालिका का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी बबलू आदिवासी निवासी अंतर्गत थाना सुल्तानपुर को दोषी पाते हुए धारा 376(3) भादंवि में 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं धारा 5एल/6, 5जे(2)/6 पॉक्सो एक्ट में 20-20 वर्ष के कठोर कारावास एवं दो-दो हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। इस मामले में मप्र राज्य की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक तहसील गौहरगंज अनिल कुमार तिवारी ने की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी जिला रायसेन श्रीमती शारदा शाक्य के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 27 अप्रैल 2018 को थाने में अभियोक्त्री के भाई ने बच्ची के गुम हो जाने की सूचना दी कि 16 अप्रैल 2018 को वह अपनी अवयस्क बहन व पत्नी, बच्चे के साथ मेहमानी करने अपने साले के घर आया था, वे सब रात में खाना खाकर घर के सामने आंगन में सो गए, रात में करीब तीन से चार बजे वह उठा देखा कि अभियोक्त्री व उसका साला दोनों नहीं थे, उसे शंका है कि उसका साला बबलू अभियोक्त्री को भगा कर ले गया है, अभियोक्त्री की आस-पास व रिश्तेदारों में तलाश करने पर कोई जानकारी नहीं मिली। इस सूचना पर थाना सुल्तानपुर में गुम इंसान सूचना एवं धारा 363 भादंसं के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गई। अनुसंधान के दौरान चार जनवरी 2020 को अभियोक्त्री को दस्तयाब किया गया। अभियोक्त्री से पूछताछ कर उसका कथन लेखबद्ध किया गया, जिसमें उसने बताया कि उसके भाई का रिश्तेदार अभियुक्त बबलू उसकी पत्नी व बच्ची के साथ करीब तीन साल पहले से गुजरात के अहमदाबाद शहर के पास ग्राम अजवान में मजदूरी करता था, जहां एक माह रहने के दौरान वह अभियुक्त के संपर्क में आई थी। इसके एक-डेढ़ महीने बाद उसके भैया लेने गए तो वह और उसकी भाभी वापस आ गई थी, फिर जब बबलू आदिवासी के यहां लडक़ी का जन्म हुआ था, जिसकी छठी के कार्यक्रम में 16 अप्रैल 2018 को वह अपने भाई और भाभी व उनके बच्चों के साथ गई थी, दिन में छठी का कार्यक्रम होने के बाद वे लोग भाई की ससुराल में ही रुक गए थे, गर्मी के दिन होने से सभी लोग खाना खा-पीकर आंगन में सो रहे थे, तभी रात करीब 10 बजे वह उठी और बबलू से कहा कि तालाब किनारे घूमने चलें और फिर वे दोनों रात में तालाब किनारे घूमने चले गए, उसने बबलू से कहा कि चलो दोनों भाग चलते हैं, यदि उसे भगाकर नहीं ले जाओगे तो वह तालाब में कूदकर जान दे देगी, तो बबलू उसे लेकर भागने को तैयार हो गया और वे दोनों ग्राम से रात में पैदल चल दिए और दूसरे दिन बरेली पहुंचे, बबलू ने पहले बरेली वाले पटेल के खेत पर मजदूरी की थी, बबलू ने उसे उन्हीं के खेत पर बने टपरे पर करीब आठ दिन रखा। अभियोक्त्री ने कथन में यह भी बताया कि फिर वे दोनों उदयपुरा बोरास के ग्राम मजदूरी करने लगे और उनके खेत पर बने टपरे में करीब एक साल पति-पत्नी के रूप में रहे और बबलू ने ग्राम राख में ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया था। करीब एक साल बाद बबलू उसे गाडरवाड़ा से ट्रेन में बैठाकर गुजरात के अहमदाबाद रेलवे स्टेशन उताकर ऑटो से ग्राम अजवान लेकर गया और सेठ के खेत पर दोनों मजदूरी करने लगे और उन्हीं के खेत में टपरिया बनाकर रहने लगे, करीब आठ दिन बाद ग्राम अजवान के हनुमान मन्दिर से उन दोनों ने शादी कर ली थी, बबलू और उसके बीच कई बार शारीरिक संबंध बनने के कारण ग्राम अजवान में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया। अनुसंधान के दौरान अन्य साक्षीगण के कथन भी लेखबद्ध किए गए। अभियोक्त्री का धारा 164 दंप्रसं के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के समक्ष कथन कराया गया। डीएनए परीक्षण हेतु अभियोक्त्री, उसकी बच्ची एवं अभियुक्त का रक्त नमूना प्राप्त किया गया। अभियोक्त्री, उसकी बच्ची एवं अभियुक्त के रक्त नमूनों को डीएनए जांच हेतु राज्य न्यायायिक विज्ञान प्रयोगशाला सागर भेजा गया, जहां से डीएनए रिपोर्ट प्राप्त हुई। अनुसंधान पूर्ण कर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। यद्यपि न्यायालय में सुनवाई के दौरान अभियोक्त्री और उसके माता-पिता अपने बयानों से पलट गए, किंतु बयानों में आए तथ्यों तथा अन्य गवाहों के बयान, वैज्ञानिक चिकित्सीय साक्ष्य से अभियुक्त को संदेह से परे मामला प्रमाणित पाते हुए आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।