जैन तीर्थ भाव वन्दना

अशोक सोनी ‘निडर’


य जिनेन्द्र आज की हमारी भाववन्दना है, भगवान श्री चन्द्रप्रभ जी की चार कल्याणको की साक्षी बनी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर गंगा नदी के तट पर बसी चंद्रपुरी नगरी की, जो कि बनारस (वाराणसी) उप्र में स्थित है। आज फाल्गुन शुक्ल सप्तमी, दिन रविवार, 26 फरवरी 2023 यह वही पावन दिन है, जब आठवें जैन तीर्थंकर श्री चंद्रप्रभ जी ललित कूट से मोक्ष गए। एक माह के भोग निवृत्ति काल से पूर्व आठवे तीर्थंकर श्री सम्मेद शिखर जी की इस बिल्कुल पूरब में बनी ललित कूट पर पहुंचे और एक हजार महामुनीराजों के साथ फागुन शुक्ल सप्तमी को सिद्धालय गए।


आपका तीर्थ प्रवर्तन काल 90 करोड़ सागर चार पूर्वांग रहा। आइये भगवान के पूर्वभव व जीवन के बारे में जानते हैं। देवाधिदेव श्री 1008 चन्द्रप्रभ भगवान के सात भव इस प्रकार है- 1- श्रीवर्मा नाम के राजा, 2- पहले स्वर्ग में देव, 3- अजित सेन नामक चक्रवर्ती, 4- अच्युत स्वर्ग में इन्द्र, 5- पद्मनाथ नाम के राजा, 6- वैजयंत विमान में देव, 7- तीर्थंकर श्री चन्द्र प्रभु। सप्तम तीर्थंकर भगवान श्री सुपाश्र्वनाथ जी के मोक्ष जाने के 900 करोड़ सागर बीत जाने के बाद वैजयंत नामक अनुत्तर विमान से चय कर श्री चन्द्रप्रभ जी का जन्म इस चंद्रपुरी नगरी में हुआ। आपके पिता का नाम श्री महासेन राजा व माता का नाम श्रीमती लक्ष्मण देवी था।


चन्द्रमा के समान श्वेत वर्ण में भगवान की अवगाहना 150 धनुष व आयु दस लाख वर्ष पूर्व की थी। इक्ष्वाकु वंश में जन्मे आपका कुमार काल ढाई लाख वर्ष पूर्व का था, जब आपका राज्य काल साढ़े छह लाख वर्ष पूर्व 24 पूर्वांग बीता तब अध्रुवादि भावनाओं के चिंतवन भगवान के वैराग्य का कारण हुआ। तत्पश्चात इसी चंद्रपुरी नगरी में श्री चन्द्रप्रभ भगवान का दीक्षा कल्याणक सर्वार्थ नामक वन में पौष कृष्णा 11वीं को हुआ।

आओ जैन धर्म को जानें-

इस पावन कल्याणक क्षेत्र का पूरा नाम एवं पता- श्री चन्द्रावतीजी दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र, चन्द्रावतीजी पोस्ट- चन्द्रपुरी, जिला- वाराणसी (उप्र), फोन नं.0542-2615316 है। भगवान श्री चन्द्रप्रभ जी के गर्भ, जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याणक स्थली वाला यह क्षेत्र सुरम्य गंगातट पर चन्द्रावती गढ़ के भग्नावशेषों के बीच स्थित है। क्षेत्र पर चैत्र कृष्णा 5 को वार्षिक मेला लगता है। इस क्षेत्र पर एक मन्दिर है।

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएं-

आवास- कमरे (अटैच बाथरूम)-दो, कमरे (बिना बाथरूम)-10, हॉल- एक (यात्री क्षमता-25), यात्री ठहराने की कुल क्षमता- 100, आवागमन के साधन- रेलवे स्टेशन वाराणसी-20 किमी, बस स्टेण्ड चन्द्रपुरी- एक किमी, पहुंचने का सरलतम मार्ग- वाराणसी से बस अथवा टेक्सी द्वारा, निकटतम प्रमुख नगर- वाराणसी- 20 किमी, प्रबंध व्यवस्था- संस्था श्री चन्द्रावती दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र, अध्यक्ष- अजय कुमार जैन (09334396920), प्रबंध न्यासी-प्रशांत कुमार जैन आरा (094314 9369), प्रबंधक- मक्खनलाल जैन। विशेष जानकारी- गंगा किनारे स्थित यह क्षेत्र भारत सरकार के पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित है। समीपवर्ती तीर्थ क्षेत्र- श्री भदैनीजी- 22 किमी, श्री भेलूपुरजी-21 किमी, श्री सिंहपुरीजी- 18 किमी। एक बार इस पावन कल्याणक क्षेत्र के दर्शन अवश्य करें।

लेखक- राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय प्रवक्त एवं मप्र के प्रदेश सचिव हैं।