वनरक्षक की हत्या करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास

ग्वालियर, 14 फरवरी। द्वादशम एएसजे ग्वालियर श्री अजय सिंह की अदालत ने वनरक्षक की हत्या करने वाले आरोपी रामकिशन मोगिया पुत्र सुखपाल उम्र 68 वर्ष निवासी ग्राम पाटई, थाना आरोन, जिला ग्वालियर धारा 302 भादंवि में आजीवन कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 25(ए-बी)(ए), 25/27 आयुध अधिनियम में तीन-तीन वर्ष का कारावास एवं 500-500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है।
अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहीं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती सीमा शाक्य ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि चार मई 2022 को वनरक्षक दीपू सिंह राणा, सुरक्षा श्रमिक हरीदास एवं राजू आदिवासी जंगल सिद्धबाबा मन्दिर के पास बांस काटे जाने की सूचना पर से गए, तभी बंदूक से फायर की आवाज आई, तो आवाज की तरफ तीनों लोग गए और देखा कि कुछ दूरी पर जंगल में रामकिशन आदिवासी अपने हाथ में टोपीदार एकनाली बंदूक लिए बैठा दिखा तथा बगल में एक बाज पक्षी मरा पड़ा था। वन विभाग के तीनों कर्मचारियों ने उससे कहा कि बाज क्यों मारा है, तो आरोपी रामकिशन आदिवासी बोला कि यह तो हमारा रोज का काम है। जैसे ही वन रक्षक तथा सुरक्षा श्रमिक उसे पकडऩे को दौड़े तो रामकिशन मोगिया ने कहा कि मुझे मत पकड़ो, नहीं तो मैं गोली मार दूंगा तथा जान से मारने की नियत से अपनी टोपीदार इकनाली बंदूक से फायर किया, जिसके छर्रे वनरक्षक दीपूसिंह राणा के सीने में लगे तथा वह गिर गया। रामकिशन मोगिया वहां से मय बंदूक के भाग गया। उक्त घटना के संबंध में पुलिस थाना आरोन में अपराध क्र.22/20 पंजीबद्ध कर संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। प्रकरण में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रकरण के चश्मदीद साक्षी श्रमिक हरीदास आदिवासी तथा राजू आदिवासी न्यायालय में अपने बयान से पलट गए। उक्त दोनों साक्षियों ने मुख्य परीक्षण में घटना का समर्थन किया था, किंतु 15 दिन पश्चात हुए प्रतिपरीक्षण में दोनों साक्षी न्यायालय में दिए गए कथनों से पलट गए। इस संबंध में अभियोजन ने लिखित बहस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा साक्षीगण को अभियुक्त द्वारा साक्षी को अपने पक्ष में कर लेना के संबंध में न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किए। विशेष लोक अभियोजक श्रीमती सीमा शाक्य द्वारा प्रस्तुत की गई मौखिक अंतिम बहस में प्रस्तुत साक्ष्य से समर्थित होकर न्यायालय ने आरोपी को धारा 302 भादंवि में आजीवन कारावास एवं 25(ए-बी)(ए), 25/27 आयुध अधिनियम में तीन-तीन वर्ष कारावास की सजा का यह निर्णय पारित किया है।