सागर, 10 फरवरी। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी बृजेन्द्र सिंह निवासी अंतर्गत थाना मालथौन को दोषी करार देते हुए धारा 363 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2019 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा सह-आरोपी संजूराजा परमार को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2019 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, सहआरोपी राजेन्द्र सिंह को को 67-ख(ख) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने पीडि़ता को क्षतिपूर्ति के रूप में चार लाख रुपए प्रतिकर दिलाए जाने का आदेश पारित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता बालिका ने 26 अक्टूबर 2020 को थाना मालथौन जिला सागर में रिपोर्ट लेख कराई कि 14 अक्टूबर 2020 बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे वह अपने गांव के पास जंगल से शौच करके वापस आ रही थी तभी अभियुक्तगण राजेन्द्र सिंह ठाकुर, संजू ठाकुर, बृजंन्द्र तथा एक अन्य अभियुक्त सहित चारों लोग उसे पकड़कर मुंह दबाकर चनारी के जंगल तरफ ले गए। जंगल में अभियुक्त बृजेन्द्र ने उसके साथ गलत काम (बलात्संग) किया और उस समय अभियुक्त संजू ठाकुर पास में बैठकर देख रहा था एवं अभियुक्त राजेन्द्र सिंह एक हाथ से मोबाइल से वीडियो बना रहा था एवं एक हाथ में पत्थर लेकर कह रहा था यदि वह चिल्लाई तो वह उसके सिर में पत्थर मार देगा तथा एक अन्य अभियुक्त कोई व्यक्ति आ न जाए इसकी चैकीदारी कर रहा था। जब बालिका जंगल से घर तरफ जाने लगी तो चारों अभियुक्तगण कह रहे थे कि उन्होंने उसका वीडियो बना लिया है अगर उसने यह बात किसी को बताई तो वे सबको वीडियो दिखा देंगे और बालिका और उसके भाई को जान से खत्म कर देंगे। उसने डर के कारण यह बात किसी को नहीं बताई। सुबह जब बालिका उसके साथ गलत काम का सोचकर रो रही थी तो उसकी मां एवं भाई के बार-बार पूछने पर उसने मां एवं भाई को पूरी घटना बताई तथा मां एवं भाई के साथ रिपोर्ट करने थाने आई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विचेना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किए गए। घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया एवं अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना मालथौन में अभियुक्तों के विरुद्ध अपराध अंतर्गत धारा 363, 376-डी, 34 भादंसं, धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही) अजा व जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) सुश्री नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है। प्रकरण में एक अन्य अभियुक्त के विरुद्ध मामला प्रमाणित नहीं पाया गया।