न भाजपाई सुधरेंगे और न मनसे वाले

– राकेश अचल


भारत में राजनीति मुद्दों पर हो ही नहीं सकती, क्योंकि हर दल, जाति, मजहब और भाषा की बिना पर सियासत करने की आदत छोडने के लिए राजी नहीं है। आप इस प्रवृत्ति की तुलना अपनी पसंद के प्रतीक से कर सकते हैं, मुद्दों पर राजनीति करने से कहीं ज्यादा आसान बेसिर-पैर के मुद्दों पर राजनीति करना है। पश्चिम बंगाल के भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक शुभेंदु अधिकारी हों या मनसे के राज ठाकरे, दोनों में कोई अंतर नहीं है।
पिछले दिनों शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमारे प्रदेश से कोई भी बंगाली मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में घूमने नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिन्दू पर्यटक सुरक्षित नहीं है। जब पश्चिम बंगाल में ही हिन्दू सुरक्षित नहीं है तो मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सुरक्षित कैसे हो सकते हैं? शुभेंदु अधिकारी ने ऐसा बयान तब दिया है, जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार भी देश वासियों से कश्मीर आने की अपील कर रही है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों से कश्मीर में पर्यटन करने की अपील की है।
आपको याद होगा कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में जो 28 हिन्दुओं की हत्या आतंकवादियों ने की, उसके बाद पर्यटकों का कश्मीर जाना बंद हो गया था। लेकिन अब धीरे धीरे पूरे जम्मू कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं। पर्यटकों की संख्या भी बढी है। शुभेंदु अधिकारी ने जो बयान दिया, वह केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों के विरुद्ध भले हो, लेकिन भाजपा हाईकमान ने इस बयान पर मौन साध कर परोक्ष रूप से उनका समर्थन किया।
बंगाल की ही तरह महाराष्ट्र में मुंबई के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले मराठी बोलने को लेकर विवाद बडा सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। हिन्दी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसा के बीच महाराष्ट्र के मंत्री आशीष शेलार ने पहलगाम आतंकी हमले और मुंबई में हिन्दुओं की पिटाई को एक समान बताया है। शेलार ने उद्धव-राज ठाकरे का नाम न लेते हुए रविवार को कहा कि राज्य देख रहा है कि कैसे कुछ नेता ‘अन्य हिन्दुओं की पिटाई का आनंद ले रहे हैं।’ उनकी यह टिप्पणी उस घटना के बाद आई है, जिसमें मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई में मिठाई की दुकान के मालिक की मराठी न बोलने पर पिटाई कर दी थी।

मनसे कार्यकर्ताओं ने शेयर बाजार निवेशक सुशील केडिया के वर्ली स्थित दफ्तर के कांच के दरवाजे तोड दिए थे। केडिया ने राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा था कि वे मराठी नहीं बोलेंगे। केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे की हालिया टिप्पणियों की आलोचना की है और उन्हें ‘दादागिरी’ को बढावा देने वाला बताया और मनसे कार्यकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई की मांग की। केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि लोगों को मराठी बोलने के लिए मजबूर करना गलत है। हिंसा में शामिल मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अठावले ने राज के रुख पर पूछा कि ऐसी घटनाओं के कारण उद्योग बंद हो जाते हैं तो क्या वे सभी को रोजगार देंगे।
आपको बता दें कि गत 5 जुलाई को मशहूर इन्वेस्टर सुशील केडिया के वर्ली स्थित ऑफिस में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना कार्यकर्ताओं ने तोडफोड की थी और मनसे सुप्रीमो राज ठाकरे के समर्थन में नारे लगाए थे। पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों को हिरासत में लिया है। ये हमला उद्धव और राज ठाकरे की संयुक्त रैली के कुछ घण्टे पहले किया गया। ये हमला केडिया के 3 जुलाई की उनकी एक्स पोस्ट के बाद हुआ। उन्होंने मनसे चीफ राज ठाकरे को टैग करते हुए लिखा था कि मुंबई में 30 साल रहने के बाद भी मैं मराठी ठीक से नहीं जानता और आपके घोर दुव्र्यवहार के कारण मैंने यह संकल्प लिया है कि जब तक आप जैसे लोगों को मराठी मानुष की देखभाल करने का दिखावा करने की परमिशन नहीं दी जाती, मैं प्रतिज्ञा लेता हूं कि मैं मराठी नहीं सीखूंगा।
महाराष्ट्र में हिन्दी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने कहा कि तीन भाषा का फार्मूला केन्द्र से आया। हिन्दी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लडना गुण्डागर्दी है तो हम गुण्डे हैं। मुझे लगत है कि मजहब, जाति और भाषा विवाद जारी रखकर ये तमाम नेता अपने क्षेत्रों का विकास अवरुद्ध कर रहे हैं। भाषा को लेकर तमिलनाडु में दशकों से राजनीति हो रही है, लेकिन केरल सरकार ने हिन्दी को लेकर जो सकारात्मक रुख अपनाया है, वो काबिले तारीफ है। अब जनता खुद फैसला करे कि उसे कैसे मुद्दे और कैसे नेता चाहिए।