न्यायालय की अभिरक्षा से फरार आरोपी को एक वर्ष का कारावास

ग्वालियर, 09 दिसम्बर। न्यायिक मजिस्ट्रे ट प्रथम श्रेणी ग्वालियर श्री अमूल मण्डलोई के न्यायालय ने न्यायालय की अभिरक्षा से फरार आरोपी राकेश गुर्जर पुत्र हरीसिंह उम्र 34 वर्ष निवासी ग्राम खितोरा, थाना भंवरपुरा, ग्वालियर में धारा 224 भादंसं में दोषी पाए जाने पर एक वर्ष सश्रम कारावास और 500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।
अभियोजन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहीं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती तृप्ती श्रीवास्तव ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 27 अक्टूबर 2010 को आरक्षक क्र.169 दीपक कुमार गौतम ने विशेष न्यायाधीश डीसी मप्र डकैती व्यप्र क्षेत्र अधिनियम ग्वालियर के न्यायालय से पत्र क्र.1223/2010 दि. 26 अक्टूबर 2010 आरक्षी केन्द्र इन्द्रगंज पर इस आशय का प्रस्तुत किया कि तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश ग्वालियर के विशेष सत्र प्रकरण क्र.25/10 आरक्षी केन्द्र पनिहार विरुद्ध भूरा उर्फ बीरेन्द्र आदि अंतर्गत धारा 395, सहपठित धारा 394 भादंसं व धारा 11/13 मप्र डकैती अधिनियम व सत्र प्रकरण क्र.37/10 आरक्षी केन्द्र घाटीगांव विरुद्ध भूरा उर्फ बीरेन्द्र अंतर्गत धारा 395, सहपठित धारा 394 भादंसं व धारा 11/13 मप्र डकैती अधिनियम के अभियुक्त राकेश पुत्र हरीसिंह गुर्जर निवासी ग्राम खितौरा, थाना भंवरपुरा, जिला ग्वालियर जिसे पूर्व में न्यायालय द्वारा दी गई जमानत निरस्त करते हुए कि अभिरक्षा में लिया गया था तथा जेल वारंट तैयार कर कोर्ट मोहर्रर को सुपुर्द किया गया था। कोर्ट मोहर्रर इस दौरान पुलिस गार्ड बुलाने गया था, तभी अभियुक्त राकेश गुर्जर मौका पाते ही न्यायालय की अभिरक्षा से भाग गया, जिसकी खोजबीन करने पर उसका कहीं कोई पता नहीं चला। उक्त अभियुक्त न्यायालय के कटहरे में खड़ा था, जिसे निष्पादन लिपिक शिवनारायण शर्मा एवं साक्ष्य लेखक मनोज कुमार द्वारा देखा गया था। अभियुक्त राकेश न्यायालय की अभिरक्षा से भागा है, इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाए। उक्त पत्र के आधार पर आरक्षी केन्द्र इन्द्रगंज द्वारा थाना का अपराध क्र.538/2010 अंतर्गत धारा 224 भादंसं के तहत अभियुक्त राकेश पुत्र हरीसिंह गुर्जर के विरुद्ध पंजीबद्ध किया गया एवं विवेचना आरंभ की गई। विवेचना के दौरान आरक्षक दीपक की निशादेही पर घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया। साक्षीगण शिवनारायण शर्मा, दीपक गौतम एवं मनोज कुमार के कथन उनके बताए अनुसार लेखबद्ध किए गए। अभियुक्त राकेश को गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया, परंतु अभियुक्त के फरार होने से उसकी फरारी में अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। विवेचना के दौरान साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए तथा विवेचना पूर्ण होने पर अभियुक्त के विरुद्ध आयुध अधिनियम की धारा 224 भादंसं के तहत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को सजा सुनाई है।