संस्कारहीन जीवन बिना पतवार की नाव जैसा: आचार्य विष्णुदत्त शर्मा

गोरमी के मां बैष्णो मैरिज गार्डन में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 03 नवम्बर। श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह के पांचवे दिन मां वैष्णो मैरिज गार्डन गोरमी में महामण्डलेश्वर श्री विष्णुदत्त शर्मा ब्रह्मचारी ने कहा कि हम कितनी भी शिक्षा हासिल कर लें, जब तक हमारे अंदर संस्कार नहीं है तो हमारी पूरी की पूरी शिक्षा बेकार है। कुल मिलाकर संस्कार के बिना हमारा जीवन बिना पतवार की नाव जैसा है, इसलिए हमारे जो आदर्श ग्रंथ हैं- श्रीमद् भागवत गीता, महाभारत, बाल्मीकि रामायण, श्रीराम चरित मानस, इसकी भी शिक्षा हम सबको प्राप्त करना चाहिए। क्योंकि हम हनुमान जी जैसे बलवान हैं तब भी हमें जामवंत जैसे वृद्ध व्यक्ति की आवश्यकता पड़ेगी। जब तक हमारा राष्ट्र के प्रति प्रेम नहीं है, भगवान के प्रति प्रेम नहीं है, हमारे अंदर संस्कार नहीं है, तब तक हमारा जीवन बेकार है। रामचरित मानस के हिसाब से भाई भाई का प्रेम कैसा होना चाहिए, पिता और पुत्र का प्रेम कैसा होना चाहिए, मित्रता कैसी होना चाहिए, इसको हमें सीखना और समझना है तो अपने जीवन में उतारना है। रामचरित मानस अवश्य सुनना और पढऩा चाहिए।
श्री विष्णुदत्त शास्त्री ने कहा कि हम कथा जब सुनने आते हैं तो बच्चों को भी साथ लेकर आएं, क्योंकि पांच वर्ष की आयु में ही ध्रुवजी महाराज ने छह महीने में भगवान की प्राप्ति कर ली थी। राष्ट्र उन्नति के लिए भक्ति के साथ में राष्ट्रभक्ति भी होना चाहिए, आश्रम में बैठकर के संत भगवान की आराधना करते हैं वैसे ही भारत की सीमा पर खड़े होकर के भारत माता की सैनिक राष्ट्र भक्ति करते हैं। आज की माताओं को माता जानकी के पद चिन्हों पर पर चलना चाहिए, सास-ससुर की सेवा कैसे करना चाहिए, परिवार में व्यवहार कैसा होना चाहिए यह माता जानकी का जीवन हमें बताता है।
अंत में भव्य संगीतमयी भागवत आरती एवं विशाल संत भण्डारे का आयोजन हुआ। भागवत कथा में मुख्य यजमान रामसिया चौधरी, ओमप्रकाश चौधरी, डॉ. भारत सिंह भदौरिया, सुभाष थापक, रामदत्त तिवारी, संजीव करैया, पटेल यादव, अनुराग चौधरी, जयवीर पुरोहित, रामप्रताप यादव, शिवकुमार चौधरी, राधाचरण थापक, गोकुल सिंह परमार, राहुल कटारे, राजकुमार जैन, रामजीलाल थापक, डॉ. डीडी शर्मा सहित हजारों भक्त भागवत कथा सुनने के लिए उपस्थित हुए।