कभी भी धराशाई हो सकता है बौरेश्वर महादेव मन्दिर : दीक्षित

बौरेश्वर विकास समिति की बैठक आयोजित

भिण्ड, 18 सितम्बर। जिले का अतिप्राचीन शिव मन्दिर बौरेश्वर महादेव मन्दिर अटेर तहसील के ग्राम पंचायत दुल्हागन के मजरा बौरेश्वर में स्थित है। इसके निर्माण को लेकर विभिन्न मत हैं, कुछ पुरातत्वविदों का मानना है कि इस मन्दिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के शासकों द्वारा कराया गया था, 12वीं शताब्दी में भदावर नरेश ने इस मन्दिर को भव्यता प्रदान की और जीर्णोद्धार कराया क्षेत्र के लोगों का मानना है कि इस मन्दिर का निर्माण एक ही रात में देवताओं ने किया था। लेकिन आज इस मन्दिर से लाखों शिव भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है, प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां दर्शन करने आते हैं। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की छठ जिसे मोर छठ भी कहते हैं, तीन दिवसीय मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में बच्चे, महिलाएं एवं पुरुष भाग लेते हैं। 200 से अधिक दुकानें लगती हैं। बहुत दूर-दूर से शिव भक्त आते हैं। इस मन्दिर को 20 फरवरी 1990 में मप्र शासन ने राज्य पुरातत्व के अधीन ले लिया था, लेकिन आज तक शासन ने मन्दिर में जीर्णोद्धार नहीं कराया। समय-समय पर मन्दिर के विकास के लिए सामाजिक कार्यकर्ता कार्य करते रहते हैं, शासन की उपेक्षा के कारण आज मन्दिर जर्जर अवस्था में हो गया है और कभी भी धराशाई हो सकता है। यह बात ग्राम विकास समिति भिण्ड के संयोजक नमोनारायण दीक्षित ने रविवार को बौरेश्वर विकास समिति द्वारा मन्दिर में आयोजित बैठक में कही।
बैठक में समिति के सदस्यों ने बताया कि मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा डेढ़ करोड़ का प्राक्कलन 18 मार्च 2020 में तैयार किया गया था, जिसे कलेक्टर कार्यालय में जमा कर दिया है। कलेक्टर कार्यालय ने तहसील कार्यालय से कुछ जानकारियां मांगी थी, चार बार पत्र लिखने के बावजूद भी आज तक तहसीलदार कार्यालय से कोई भी जवाब नहीं आया। इस कारण से क्षेत्रीय जनता एवं शिव भक्तों में रोष है।
बौरेश्वर विकास समिति के अध्यक्ष इन्द्रप्रकाश त्रिपाठी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर तहसीलदार द्वारा प्रस्ताव शीघ्र नहीं भेजा गया तो तहसील पर धरना एवं प्रदर्शन किया जाएगा। बैठक में रामजीलाल शर्मा, मलखान सिंह भदौरिया, रामवीर सिंह यादव, सुभाष बौहरे, पहलवान सिंह भदौरिया, दुल्हागन ग्राम पंचायत के सरपंच संजय दैपुरिया, बालकिशन शर्मा, राजू ढमोले, धर्मेन्द्र त्रिपाठी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।