स्व-सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं बटन मशरूम की उपज

भिण्ड, 04 जनवरी। घर की चाहर दीवारी से निकल कर आधी आबादी अब अपनी आर्थिक उन्नति के साथ ही देश के विकास में भागीदार बन रही है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिले के ग्राम इकाहरा में रहने वाली स्वयं सहायता समूह की पांच महिलाओं ने।
उन्होंने कृषि विभाग आत्मा के कंपोटेंट नवाचार के माध्यम से स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं बटन मशरूम की उपज कर कम लागत में दो से तीन गुना आमदनी कर रही हैं। समूह की महिलाएं खुद के साथ ही दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दिलाकर उनके कदमों को विकास के राह पर बढ़ाने का काम कर रहीं हैं। वहां पैदा किए जाने वाले मशरूम ने उनकी पहचान में और चार चांद लगा दिए हैं। अपने दम पर कुछ अलग करने की जिद और अपने समूह एवं गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह में आगे बढ़ाने के लिए बटन मशरूम का उत्पादन शुरू किया। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मशरूम का उत्पादन कर के कुछ अलग करने की सोची लेकिन सबसे बड़ी बाधा यह सामने आ रही थी कि मशरूम की खेती की शुरूआत कहां से और कैसे की जाए। उन्होंने यह सुन रखा था कि मशरूम के उत्पादन में लागत कम लगती है और इसकी मांग ज्यादा है, इसलिए इन्होंने मशरूम को ही अपने अपने आर्थिक हालात को सुधारने का जरिया बनाने का सोचा। उन्होंने मशरूम में डाली जाने वाली कंपोस्ट खाद को भी खुद ही तैयार करने की ठानी, और समूह की महिलाओं के इस काम में हिस्सा लेने पर कृषि विभाग आत्मा एवं एफपीओ गोहद द्वारा पूरा सहयोग किया गया। संघर्ष से लड़ कर कुछ करने की जिद ने इन महिलाओं की एक अलग पहचान बना दी है।