रतलाम, 20 फरवरी। आचार्य श्री योगीन्द्र सागर महाराज की शिष्या आर्यिका श्री 105 युक्तिमति माताजी का रविवार सुबर 11.45 बजे पर शीतलतीर्थ धामनोद रतलाम में समाधिमरण हो गया है। उन्होंने 14 जून 2007 को श्री महावीर जी में आचार्य श्री योगीन्द्र सागर से दीक्षा ग्रहण कर स्वयं को मोक्ष मार्ग का पथिक बनाया था। तब से आप निरंतर साधनारत थीं। वर्ष 2011 में आपने गुरुदेव योगीन्द्र सागर महाराज से 12 वर्ष की संल्लेखना को धारण किया था। आपके गृहस्थ अवस्था के पति ने भी आपके साथ पूज्य गुरुदेव के करकमलों से जैनेश्वरी दीक्षा को ग्रहण कर मोक्ष मार्ग को अपनाया था। समस्त क्रियाएं पं. नितिन शास्त्री ने संपन्न संपन्न कराईं। माताजी को वेदी पर विराजमान श्रेणिक जैन, पूजन श्रीमती रानी-सतेन्द्र बघेरवाल, शांति धाराभिषेक दीपेश चन्द्रसेन गाडिय़ा, मुखाग्नि का लाभ चांदमल दोशी परिवार ने लिया।
शीतलतीर्थ के ट्रस्टी डॉ. अनुपम जैन इंदौर, डॉ. नेमीचंद जैन उज्जैन, पदम गांधी रतलाम, अभय जैन इंदौर, नरेन्द्र रारा गौहाटी, मदन हुमड़ बड़ोदा, दिलीप हुमड़ बड़ोदा, प्रभात दोषी रतलाम, उमेश मेरठ, मनोज जैन आदि अनेक सदस्यों ने अपनी भावभीनी विनयांजलि प्रस्तुत कर श्रृद्धा सुमन प्रस्तुत किए। प्रदीप दोषी, अनिल पापडीवाल, मनोज जैन, अंकित दोषी, दीपेश गाडिय़ा, अर्पण गंगवाल, सौरभ शाह, पंकज जैन, सुभाष पोरवाल, शतेन्द्र वगेरवाल, वर्धमान जैन भीमपुर, श्रीमती निर्मल जैन भीमपुर, मनोज जैन पीए भिण्ड, आशीष कुमार जैन भिण्ड, देवीलाल, शांतिलाल, फूलसिंह ठाकुर, भगवती पाटीदार, प्रकाश सोनी, श्रेणिक जैन, देवीलाल लच्छू काका, गोपाल भट्ट, बद्री व्यास, किशोर सोनी, अंतिम पंडित आदि अनेक भक्तों ने अंतिम यात्रा में सहभगिता की।