नि:स्वार्थ मित्रता हमेशा याद रखी जाती है : शास्त्री

ग्राम सिकरौदा में सातवे दिन हुई श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह एवं सुदामा चरित्र की कथा

भिण्ड, 28 नवम्बर। मित्रता यदि नि:स्वार्थ हो तो पुराणों में भी शामिल हो जाती है। जैसे कि भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा गरीब सुदामा की मित्रता जो पुराणों में दर्ज है। यह उद्गार गोरमी तहसील के ग्राम सिकरौदा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवे दिन सुदामा चरित्र की कथा पर प्रवचन करते हुए कथा वाचक आचार्य पं. मनोज कुमार व्यास शास्त्री ने व्यक्त किए।


कथा वाचक ने सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की। समाज को समानता का संदेश दिया। उन्होंने सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन कर बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की स्थिति को सुधारा। आचार्य द्वारा सुदामा की मनमोहक झांकियो का चित्रण किया गया, जिसे सुनकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। उन्होंने कहा कि कलयुग में कुछ भी नि:स्वार्थ नहीं है। आज के मित्र अपने ही मित्र के साथ छल करते हैं। ऐसी मित्रता से भला है कि कोई मित्र ही न बनाया जाए। इससे पहले कथा वाचक ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। इस अवसर पर काफी संख्या में आस-पास के ग्रामीणजनों एवं स्थानीय नागरिकों ने श्रीमद् भागवत कथा का सरपान किया। आज सोमवार 29 नवंबर को पूर्णाहुति एवं भण्डारे के साथ कथा का समापन होगा। कथा के पारीक्षण श्रीमती फूलवती देवी-हुकुम सिंह परमार हैं। सातवे दिवस की कथा की समाप्ति पर आरती के बाद भोग वितरण किया गया।