पुरातत्व विभाग ने बंद की आंख, निर्माण के चंद दिनों बाद ही धसकने लगे पथ

गोहद/भिण्ड, 28 नवम्बर। यूनेस्को द्वारा चयनित की सात धरोहरों में शामिल गोहद किला जिसके लिए विभिन्न चरणों मे स्वीकृति राशि जो अब करोड़ों में है, उसे पुरातत्व विभाग की मिली भगत से बंदरबांट किया जा रहा है। यहां पूर्व में हथियापोर मन्दिर के सामने की दीवार निर्माण के चंद दिनों में ही धरायशी हो गई। वहीं पुरानी कचहरी के पीछे मैदान की बाउण्ड्री के साथ मैदान पर चारों ओर पथ बनाया गया था, जिसका आधार मजबूत न होने से धरायशी हो गया है।
गोहद का किला क्षेत्र के साथ ही देश-प्रदेश में अपनी पहचान रखता है, यहां दिवारों पर की गई नक्काशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसी विशिष्ट पहचान के चलते यूनेस्को ने देश की प्रमुख स्मारकों में शामिल किया है, इस किले को सुरक्षित रखने के लिए पिछले दश वर्ष से यहां बजट स्वीकृत किया जा रहा है। इसका श्रेय पूर्वमंत्री लालसिंह आर्य को भी जाता है, जिनके प्रयासों से पुरातत्व विभाग ने विशेष रुचि ली और गोहद आकर गोहद किले को संरक्षित करने के लिए विशेष योजना तैयार की। चूंकि गोहद किले के निर्माण पुरातत्व विभाग द्वारा किया जा रहा है, इसका कार्यालय ग्वालियर व भोपाल में है, टेंडर प्रक्रिया भी वहीं से होती है, लेकिन कभी विभाग के अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन करना उचित नहीं समझा।

इनका कहना है-

गोहद किले का सौन्दर्य पुन: वापस आए, ऐसा मेरा प्रयास था, मैंने बजट भी स्वीकृति कराया है, मैं जानकारी लेता हूं।
लालसिंह आर्य, पूर्वमंत्री मप्र शासन