– राकेश अचल
सर्व पितृमोक्ष अमावस्या पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्र से रूबरु हुए, सच मानिये तबियत खुश हो गई, वे बहुत दिनों से मौन थे, उनके अपने दोस्त उनके मौन की वजह हैं शायद। लेकिन प्रधानमंत्री ने नवदुर्गा उत्सव शुरू होने से पहले ही देश का आह्वान कर दिया कि अमीर हो या गरीब, राजा हो या रंक, हिन्दू हो या मुसलमान, सिख हो ईसाई सबको जीएसटी बचत उत्सव मनाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कल से देश में जीएसटी बचत उत्सव शुरू होने जा रहा है। इस बचत उत्सव में आपकी बचत बढ़ेगी और आप अपनी पसंद की चीजों को खरीद पाएंगे। हमारे देश के दुकानदार, महिलाएं, किसान, गरीबों सभी को इस बचत उत्सव का बहुत बड़ा फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2017 में भारत ने जीएसटी रिफॉर्म की तरफ कदम बढ़ाया था। दशकों तक सभी लोग और देश के व्यापारी टैक्स के जाल में उलझे हुए थे। कई तरह के टैक्स हमारे देश में थे। एक शहर से दूसरे शहर में माल भेजना हो तो कितने सारे चेक पोस्ट पार करने होते थे, कितने सारे फार्म भरने पड़ते थे। कितनी सारी रुकावटें थीं, हर जगह टैक्स के अलग-अलग नियम थे।
आपको याद होगा कि गत 3 सितंबर को मोदी सरकार ने जीएसटी पर बड़ा फैसला लिया था। केन्द्र सरकार ने 12 और 28 फीसदी का टैक्स स्लैब खत्म कर दिया था और अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब 5 और 18 फीसदी ही लागू होंगे। टैक्स की नई दरें 22 सितंबर से लागू हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश के नाम संबोधन दिया। उन्होंने कहा- 22 सितंबर को सूर्योदय के साथ ही जीएसटी बचत उत्सव शुरू हो जाएगा। इसका फायदा सभी वर्गों को होगा। साथ ही पीएम ने जनता से अपील भी की और कहा- वही सामान खरीदें जिसे बनाने में देश वासियों का पसीना लगा हो। मतलब अब जब आप खरीदो तो उसे सूंघकर देखो और पता करो कि कौन से पसीने की गंध आ रही है। पसीना चीनी है, अमरीकी है या कोरियाई है।
मोदीजी ने 20 मिनट के संबोधन में जीएसटी रिफॉर्म, आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी पर जोर दिया। उन्होंने राज्य सरकारों से अपील की कि स्वदेशी के अभियान के साथ मैन्युफैक्चरिंग को गति दें। निवेश के लिए माहौल बनाएं। केन्द्र और राज्य मिलकर आगे बढ़ेंगे तभी सपना पूरा होगा। मोदीजी के कहने पर हर भारतीय कुछ न कुछ जरूर खरीदेगा, लेकिन खरीदेगा कैसे? जेब तो खाली पड़ी है। घर खर्च चलाने के लिए लोग जेवर गिरवी रखकर ऋण ले रहे हैं। मोदीजी को तो इसका अहसास हो नहीं सकता क्योंकि अब वे किसी रेल्वे स्टेशन पर नहीं पीएमओ में रहते हैं। हमारे दादा ऐसी अवस्था के लिए एक जुमला हमेशा सुनाते थे कि नंगा नहाए क्या और निचोडे क्या? उसके पास तो ले-देकर एक ही परधनिया (धोती, पंचा) है।
मोदी जी के संबोधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा कि नौ सौ चूहे खाकर, बिल्ली हज को चली। केन्द्र सरकार ने कांग्रेस के सरल और कुशल जीएसटी के बजाय अलग-अलग 9 स्लैब से वसूली कर ‘गब्बर सिंह टैक्सÓ लगाया और 8 साल में 55 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले। अब आप 2.5 लाख करोड़ रुपए के बचत उत्सव की बात कर के जनता को गहरे घाव देने के बाद मामूली बैंडऐड लगाने की बात कर रहे हैं।
मोदी जी का जीएसटी जेन-जी जनरेशन के लिए जनरेट किया गया है। मोदीजी के मुताबिक नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी पर नवरात्रि के पहले दिन से देश आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है। 22 सितंबर को सूर्योदय के साथ ही नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी लागू हो गए हैं। एक तरह से कल से देश में जीएसटी बचत उत्सव शुरू होने जा रहा है। जीएसटी उत्सव में आपकी बचत बढ़ेगी और आप अपनी पसंद की चीजें खरीद पाएंगे।
मोदीजी ने कहा कि ‘वन नेशन वन टैक्सÓ पर 2014 में जब देश ने मुझे पीएम बनाया तब लाखों कंपनियों को अलग-अलग तरह के टैक्स के जाल से परेशानी होती थी। सामान को एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचने के बीच जो खर्च बढ़ता था, वो गरीब उठाता था। देश को यहां से निकालना बहुत जरूरी था। जब आपने हमें 2014 में अवसर दिया तो हमने जीएसटी को प्राथमिकता बनाया। हमने स्टेक होल्डर, राज्यों से बात की। हर समस्या का समाधान खोजा। वन नेशन वन टैक्स का सपना साकार हुआ।लेकिन मुझे याद है कि हमने अच्छे दिनों और हर बैंक खाते में 15 लाख रुपए आने के लालच में मोदीजी को वोट दिए थे। तब वन नेवन वन टैक्स की बात थी ही नहीं।
मोदी जी कह रहे थे कि पिछले 11 साल में देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को हराया है। गरीबी से बाहर आए ये लोग न्यू मिडिल क्लास के रूप में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। लेकिन फिर 80 करोड़ मुफ्तखोरों की संख्या घटकर 55 करोड़ क्यों नहीं हुई, ये अपने पल्ले नहीं पड़ा। हां ये सच है कि इस साल सरकार ने 12 लाख रुपए की इनकम टैक्स फ्री करके उपहार दिया, लेकिन मिडिल क्लास के जीवन में कोई बदलाव आया ही नहीं क्योंकि सारी इनकम तो मंहगाई चाट गई।
मोदीजी बोले अब गरीबों की भी बारी है। इन्हें डबल बोनांजा मिल रहा है। जीएसटी कम होने से उनके लिए घर बनाना, टीवी, फ्रिज, बाइक और स्कूटर में कम खर्च करना होगा। घूमना-फिरना भी सस्ता होगा।टोल टैक्स दे देकर हलकान आदमी खाक घूमने जाएगा? सूक्ष्म और लघु उद्योग पर विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने का बहुत बड़ा दायित्व एम एस एम ई पर भी है। जो देश के लोगों की जरूरत का है, जो देश में बना सकते हैं वो हमें देश में ही बनाना चाहिए। जीएसटी की दरें कम होने से नियम और प्रक्रिया आसान बनने से एम एस एम ई को बहुत फायदा होगा।लेकिन 6 लाख एमएसएम ई तो मर चुकी। लाभ लेगा कौन?
मोदीजी कह रहे थे कि मेरा सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि स्वदेशी के अभियान के साथ मैन्युफैक्चरिंग को गति दें। निवेश के लिए माहौल बनाएं। केन्द्र और राज्य मिलकर आगे बढ़ेंगे तभी सपना पूरा होगा। हम जो मैन्युफैक्चर करें वो दुनिया में अच्छा हो, प्रोडक्ट की क्वालिटी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाए। देश की आजादी को जैसे स्वदेशी के मंत्र से ताकत मिली वैसे देश की समृद्धि को स्वदेशी से शक्ति मिलेगी।लेकिन मोदीजी आप चीनी सामान का आयात तो बंद करो, स्वदेशी की मांग खुद बढ़ जाएगी।
मोदीजी को शायद पता नहीं कि आम भारतीय उतना जीएसटी से परेशान नहीं है, जितना उनके दोस्त के टैरिफ से परेशान है। एच वन बी वीजा फीस बढने से परेशान है। इस पर भी कुछ बोलते तो बात थी। मोदीजी को केंचुआ पर भी बोलना चाहिए था, लेकिन वे स्वदेशी पर अटक गए। बोले कि रोजमर्रा की चीजें विदेशी हैं, हमें इनसे मुक्ति पानी है। हम मेड इन इंडिया सामान खरीदें। हमें हर घर को स्वदेशी का प्रतीक बनाना है। हर दुकान को स्वदेशी से सजाना है। गर्व से कहो ये स्वदेशी है। गर्व से कहो- मैं स्वदेशी खरीदता हूं और बेचता हूं। ये हर भारतीय का मिजाज बनना चाहिए। हम तो ये सब कहना चाहते हैं लेकिन सस्ता, सुंदर और टिकाऊ सामान चीन की तरह मिले तो।