भिण्ड, 25 अक्टूबर। आलमपुर क्षेत्र के ग्राम रजरापुरा में आयोजित की जा रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा से पूर्व शनिवार दोपहर भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा रजरापुरा के हनुमान मन्दिर से प्रारंभ होकर प्राचीन हरिहरेश्वर बड़ी माता मन्दिर पहुंची। यहां विधिविधान के साथ पूजन कर कलशों में जल भरने के बाद कलश यात्रा छेदी मन्दिर, बस स्टैण्ड, मुख्य बाजार से होकर खोड़न मोहल्ला होती हुई कामाक्षा देवी मन्दिर के रास्ते वापिस रजरापुरा पहुंची। जहां कलश स्थापित किए गए।
कलश यात्रा के दौरान आगे-आगे बैण्ड-बाजे और डीजे पर मनमोहक भजन चल रहे थे। जिसके पीछे बग्घी में सवार होकर कथाव्यास पं. अखिलेश लावनिया एवं संत महात्मा और पीले वस्त्र धारण किए हुए सैकड़ों महिला-पुरुष सिर पर कलश रखकर चल रहीं थीं। इसके बाद नाचते हुए एवं रामनाम संकीर्तन करते हुए सैकड़ों श्रद्धालु चल रहे थे। राम नाम संकीर्तन के साथ कलश यात्रा लगभग पांच किमी की परिक्रमा कर कथा स्थल पर पहुंची। इस दौरान जगह-जगह नगर वासियों द्वारा पूजन एवं पुष्प वर्षा कर कलश यात्रा का स्वागत किया।
प्रथम दिवस की कथा के दौरान कथा व्यास महाराज ने कहा कि इस लोक में मानव जीवन प्राप्त करने के बाद श्रीमद भागवत कथा श्रवण बड़ा दुर्लभ है, क्योंकि हमारे करोड़ों-करोड़ों पुण्यों के बाद ही हमें भागवत कथा सुनने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि जो हमें चिंतामणि नहीं दे सकती कल्पवृक्ष नहीं दे सकता, वो हमें गुरु की कृपा दे सकती है। क्योंकि गुरु का एक वाक्य हमें सर्व सुख प्राप्त करा सकता है लेकिन वो मांगने से नहीं मिलता।
भगवान के नाम में वो प्रभाव है की बड़े से बड़े हिंसक प्रवत्ति वाले जीव को भी सुधरने का मौका प्रदान करते है उन साधु संतों का दर्शन करने के बाद। इसके साथ ही कथा व्यास ने श्रद्धालुओं को भागवत कथा का महात्म्य बताया। भागवत कथा का आयोजन नगर एवं क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए करवाया जा रहा है, जिसका पारीक्षत बनने का सौभाग्य चरण सिंह राजपूत को प्राप्त हुआ है।







