ररूआ गांव के लोगों को 25 किमी का चक्कर लगाकर जाना पड रहा आलमपुर

– जमीन के मामले के कारण खेत में से बने रास्ते से वाहनों का भी निकलना हुआ बंद

भिण्ड, 04 अगस्त। लहार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम ररुआ के लोगों को आलमपुर की ओर आने-जाने के लिए पक्की सडक भी नसीब नहीं है। इस गांव के लोग पिछले कई वर्षों से कच्ची सडक के सहारे आलमपुर की ओर आने-जाने का सफर तय करते चले आ रहे हैं। बरसात के दिनों में कच्ची सडक दलदल में तब्दील हो जाती है। इसलिए इस गांव के लोगों के वाहन भी दो-तीन महीने के लिए कच्ची सडक से निकलना बन्द हो जाते है। यदि गांव के लोगों को आलमपुर बाजार में सौदा सामग्री खरीदने के लिए आना पडे तो उन्हें 5 किमी की बजाय 25 किमी का चक्कर लगाकर अरूसी, रूरई होते हुए आलमपुर आना पड रहा है। ररूआ गांव के बच्चे आलमपुर में पढते हैं, किन्तु सडक कच्ची होने की वजह से बच्चें भी बरसात के दिनों में आलमपुर पढने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं। ग्राम ररूआ के लोग शासन प्रशासन से अपने गांव तक पक्की सडक बनवाने की मांग कई वर्षों से करते चले आ रहे हैं। चुनावी समय पर भी गांव के लोग जनप्रतिनिधियों के समक्ष सडक की समस्या रखकर पक्की सडक बनवाने की मांग करते हैं। किन्तु उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नसीब नहीं हुआ। गांव वालों की समस्या गंभीर पर सुने कौन…!
आज हालत यह है कि जमीन के मामले के कारण कच्ची सडक से भी ग्रामीणों के वाहन निकलना बंद हो गए हैं। बताया जाता है कि आलमपुर-रूरई सडक मार्ग से जुडी ग्राम ररूआ की कच्ची सडक गांव के बाहर खेतों तक बनी हुई है। इसके बाद गांव की ओर जाने वाला रास्ता खेत से निकला हुआ था। लेकिन कुछ दिनों पहले खेत मालिक ने खेत में से बने रास्ते को बंद कर दिया है। जिससे ररूआ गांव की ओर आने-जाने वाले वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है। इस कारण ररूआ गांव के लोगों की परेशानी बढ गई है।
इधर आलमपुर के लोग बताते हैं कि नगर के सैकडों लोग प्रति मंगलवार को मोटर साइकिल से ररूआ गांव होते हुए कांक्सी सरकार पर दर्शन करने के लिए जाते हैं और अधिकांश मोटर साइकिल चालक इसी मार्ग से लहार की ओर जाते हैं। लेकिन रास्ता बंद होने के कारण उनकी भी परेशानी बढ गई है। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को इस ओर जल्द ही ध्यान आकर्षित लोगों के वाहन निकलने हेतु रास्ता उपलब्ध कराना चाहिए।