मां का बुलावा आया है जमुना मैया ने बुलाया है : चौबे

– चंबल प्रदेश गठन की मांग में इतनी है दम

भिण्ड, 04 अगस्त। राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग के संयोजक नरसिंह कुमार चौबे ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि चंबल नदी का उदय मालवा मध्य प्रदेश में हुआ है। मालवा से चली चंबल नदी राजस्थान और मप्र की सीमा पर बांधों का निर्माण होने से किसानों की समस्याओं का निदान हुआ और चंबल अंचल में आकर चंबल नदी का अस्त हुआ। यहां पर चंबल नदी का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा के पानी पर निर्भर रहता है। जबकि अंचल में पांच-पांच नदियों का जलसंगम है। क्वारी, चंबल, यमुना, सिंध और पहुज जलसंगम पर पचनदा बांध की परियोजना 25 अक्टूबर 1983 में बनाई गई थी। केन्द्र सरकार से योजना के लिए लाखों करोडों रुपए का बजट आता रहा है, लेकिन पचनदा बांध परियोजना पर काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि चंबल प्रदेश गठन की मांग में इतनी दम है कि मां का बुलावा आया है, जमुना मैया ने दिल्ली बुलाया है। कार्यकर्ता दिल्ली चलने के लिए तैयार रहें। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को रक्षा बंधन की बधाई व शुभकामनाएं दीं।
चौबे ने बताया कि अगर पचनदा बांध का निर्माण हो जाता है तो चंबल अंचल में भूमि कटाव कम होता, जमीन का वाटर लेवल कम नहीं होता। सिंचाई, बिजली समस्या का समाधान होता, चंबल अंचल में नदियों का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा पर निर्भर रहता है और किसान कर्ज में डूबा रहता है। किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। उन्होंने बताया कि चंबलांचल की समस्या और निदान के मुख्य बिन्दुओं को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी द्वारा 27 दिसंबर 1999 से पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की गई है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती अंतिम छोर पर 22 जिलों को मिलाकर जनता के बल पर पृथक चंम्बल प्रदेश गठन की मांग की गई है। उप्र से आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी और ललितपुर। मप्र से गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिण्ड। राजस्थान से- धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बारा, झालाबाद जिले शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग को लेकर देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति/सभापति, राज्यसभा, लोकसभा अध्यक्ष, मुख्य न्यायाधिश उच्चतम न्यायालय, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री, नेता प्रतिपक्ष लोकसभा को पृथक चंबल प्रदेश गठन का नक्शा सहित 27 दिसम्बर 1999 को आवश्यक कार्रवाई हेतु ज्ञापन दिया गया है, उप्र, मप्रा और राजस्थान तीनों प्रदेशों को अवगत करा दिया गया है।
चौबे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपरीत समय में जो सच्चाई छिपी होती है वह उजागर हो जाती है। मानसून से टकराने से वर्षा होती है, फिर हरा-भरा लगने लगता है। चौबे ने किवंदती सुनते हुए कहा कि संत अपने काफिले के साथ शहर के मार्गों से रथ गुजर रहा था। रथ के पीछे हजारों गाडियों का काफिला था और आगे बैण्ड बाजे बज रहे थे। आगे फूलमालाओं से भरी गाडी चल रही थी। लोगों को माला देकर संत स्वागत करने के लिए कहा जा रहा था। जनता स्वगात कर रही थी। संत रथ आगे बढता जा रहा था। एक व्यक्ति अपने मकान के बाहर चबूतरे पर पत्थर की शिला पर बैठा हुआ था। संत ने देख उस व्यक्ति को अपने पास आने की आवाज लगाई वह व्यक्ति पत्थर की शिला पर बैठा रहा। शिला ही खिसकने लगी, खिसक-खिसक कर संत के पास पहुंच गई। संत ने जब यह देखा तो संत आश्चर्य में पड गए, उस व्यक्ति से पूछा आप पत्थर की शिला पर बैठे रहे, शिला और आप हमारे पास आ गए। यह शक्ति की कृपा आप पर कैसे हुई। व्यक्ति ने संत जी से कहा आप अपने हित के लिए ही कार्य करते हैं। हम जनतहित के लिए कार्य करते है। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं ईश्वर उसी व्यक्ति को यह शक्ति प्रदान करते हैं। यह बात सुनकर संत के पीछे लगी जनता की भीड संत का साथ छोडकर चली गई। संत ने मुडकर पीछे देखा जनता सब जा चुकी थी। संत ने उसी समय जन कल्याण का संकल्प लिया और जन कल्याण में लग गए।