संतान को शिक्षा के साथ संस्कार भी प्रदान करें : रामभूषण दास महाराज

 

संतान को शिक्षा के साथ संस्कार भी प्रदान करें : रामभूषण दास महाराज

भिण्ड 05जून:- अटेर जनपद के ग्राम चौकी (धरई) स्थित सिद्ध पुरुष ताल का मंदिर परिसर में नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण की कथा के छटवे दिन प्रवचन करते हुए श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर रामभूषण दास महाराज (खनेता धाम) ने भगवान शिव एवं माता पार्वती के विवाह पश्चात पार्वती को पतिव्रत धर्म एवं श्रीगणेश और कार्तिकेय के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी संतानों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी अवश्य प्रदान करें। संतान को धर्म के रास्ते पर लाने के लिए सदाचार का ज्ञान देना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रकृति और पुरुष के शिव और शिवा स्वरूप शिव का विवाह संस्कार सम्पन्न हुआ। विवाह पश्चात मैया मैना ने एक ब्राम्हण पत्नी के द्वारा पार्वती को पति व्रत धर्म का उपदेश दिलवाया। मैया मैना चाहती तो स्वयं भी उपदेश दे सकती थीं, परंतु उपदेश देने का अधिकार केवल ब्राम्हण को है, इसीलिए ब्राम्हण पत्नी से ही उपदेश दिलवाया। आज के समय में यही विडम्बना हो गई है कि हम अपनी संतान को सदाचार का ज्ञान नहीं देते हैं, जिससे कि हमारी सन्तति को छोड़ कर पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण कर रहे हैं, जिससे हमारा सनातन धर्म पतन की ओर जा रहा है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि अपनी संतान को शिक्षा के साथ साथ संस्कार प्रदान करें। महामण्डलेश्वर रामभूषण दास महाराज द्वारा विश्व कल्याण की कामना को लेकर संगीतमय श्रीशिव महापुराण कथा में भगवान श्री गणेश जी एवं कार्तिकेय के जन्म की कथा सुनाई गई। श्रद्धालुओं ने नाचते गाते पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। कथा आयोजक ओंकारनाथ ओमप्रकाश कांकर हैं। कथा का समय दिन में 12 बजे से शाम पांच बजे तक है। कथा का समापन नौ जून रविवार को पूर्णाहुति एवं भण्डारे के साथ होगा। बुधवार को कथा श्रवण करने दंदरौआ धाम के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर रामदास जी महाराज पधारे। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दिए। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रोतागणों ने शिव महापुराण की कथा का श्रवण किया।