शिवजी की पूजा करो तो वे खुद को ही सौंप देते हैं : रामभूषण दास महाराज
भिण्ड 01जून:- अटेर जनपद के ग्राम चौकी (धरई) स्थित सिद्ध पुरुष ताल का मंदिर परिसर में नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण की कथा के चतुर्थ दिवस प्रवचन करते हुए श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर रामभूषण दास महाराज (खनेता धाम) ने माता सती जन्म और उनके भगवान शिव से विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि पूजा करने से शिव अपने आप को ही सौंप देते हैं। उन्होंने कहा कि ने कहा कि दक्ष प्रजापति की सभी पुत्रियां गुणवान थीं। फिर भी दक्ष के मन में संतोष नहीं था। वे चाहते थे कि उनके घर में एक ऐसी पुत्री का जन्म हो जो सर्वशक्ति संपन्न एवं सर्व विजयी हो। वे ऐसी पुत्री के लिए तप करने लगे। तप से मां भगवती ने प्रसन्न होकर कहा कि मैं स्वयं पुत्री रूप में तुम्हारे यहां जन्म धारण करुंगी। मेरा नाम होगा सती और मैं सती के रूप में जन्म लेकर अपनी लीलाओं का विस्तार करुंगी। भगवती ने सती रूप में दक्ष के यहां जन्म लिया। जब सती विवाह योग्य हो गई तो ब्रह्मा जी के परामर्श लिया तो ब्रह्मा जी ने कहा कि सती आदि शक्ति हैंऔर शिव आदि पुरुष हैं। उसके विवाह के लिए शिव ही योग्य और उचित वर हैं। दक्ष ने ब्रह्मा जी की बात मानकर सती का विवाह भगवान शिव के साथ कर दिया और सती ने कैलाश में भगवान के साथ खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत किया। उन्होंने कहा कि साफ है कि शिव जी की पूजा से वे खुद को ही सौंप देते हैं।
सती ने पिता दक्ष के द्वारा अपने पति का अपमान होने पर पिता के यज्ञ में जाकर अपने शरीर को योगागिग्न में जलाकर समाप्त किया और हिमाचल के यहां उनकी पत्नी मैना के गर्भ से उमा या पार्बती के रूप में जन्म प्राप्त किया। इस अवसर पर पार्वती के जन्म का दिव्य उत्सव मनाया गया। रामभूषण दास महाराज ने नारद मोह की कथा का भी वर्णन किया। चौथे दिन की कथा में श्रीश्री 1008 पत्ती वाले बाबा बरोही आश्रम, श्रीश्री 1008 महामण्लेश्वर हरिनिवास महाराज गिरधारी मठ चिलोंगा विशेष रूप से मौजूद रहे। कथा आयोजक ओंकारनाथ ओमप्रकाश कांकर हैं। कथा का समय दिन में 12 बजे से शाम पांच बजे तक है। कथा का समापन नौ जून रविवार को पूर्णाहुति एवं भण्डारे के साथ होगा। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रोतागणों ने शिव महापुराण की कथा का श्रवण किया।