सर्वेश्वर भगवान शिव ही कलियुग के देवता हैं : रामभूषण दास महाराज

सर्वेश्वर भगवान शिव ही कलियुग के देवता हैं : रामभूषण दास महाराज

भिण्ड 02जून:- अटेर जनपद के ग्राम चौकी स्थित सिद्ध पुरुष ताल का मंदिर परिसर में नौ दिवसीय शिव महापुराण की कथा के तृतीय दिवस प्रवचन करते हुए श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर रामभूषण दास महाराज खनेता धाम ने कलयुग का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कलियुग में व्यक्ति की आयु अल्प होगी, मनुष्य सत्य पथ का त्याग  कर पापाचार में धंसते चले जाएंगे, स्त्रियां व्यभिचारिणी   हो जाएगी, लोग माता-पिता का सम्मान नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कलियुग का सार केवल सर्वेश्वर भगवान शिव ही हैं। ब्रह्मा ब्रह्मलोक में और विष्णु विष्णु लोक में निवास करते हैं लेकिन भगवान शिव धरती पर ही विराजमान हैं। कलियुग में सिवाय भगवान शिव के कोई तारणहार नहीं है। इसलिए भोलेनाथ की पूजा नियमित रूप से करने से फल की निश्चित ही प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि ने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए हंै। बाबजूद इसके शिव ने विवाह कर गृहस्थ आश्रम में रहकर वैराग्य धर्म का अनुसरण करने का तरीका दिया।रामभूषण दास महाराज ने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए हैं। बाबजूद इसके शिव ने विवाह कर गृहस्थ आश्रम में रहकर वैराग्य धर्म का अनुसरण करने का तरीका दिया। उन्होंने लोक कथा का वखान करते हुए बताया कि एक बार ब्रम्हा एवं विष्णु ने शिव माया से मोहित होकर आपस में विवाद किया। उसी समय भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हो गए। ब्रम्हा ने झूठ बोला तो भगवान शिव ने ब्रम्हा को दंडित करते हुए उनका एक सिर काट लिया। उसके गद ब्रम्हा और विष्णु ने शिव जी का पूजन किया, यह शिवलिंग का प्रथम पूजन था, इसीलिए वह तिथि शिवरात्रि कहलाई। कथा वाचक ने विल्व वृक्ष की महिमा का व्याख्यान किया तथा रुद्राक्ष की महिमा एवं 14 प्रकार के रुद्राक्षों का वर्णन किया एवं भस्म की महिमा बताई। तीसरे दिन की कथा में चामुंडा माता आश्रम अटेर के संत श्रीश्री 1008 प्रेमानंदजी महाराज और गिरधारी मठ ग्राम चिलोंगा आश्रम के संत श्रीश्री 1008 मण्डलेश्वर हरिनिवासजी विशेष रूप से मौजूद रहे। कथा आयोजक ओंकारनाथ ओमप्रकाश कांकर हैं। कथा का समय दिन में 12 बजे से शाम पांच बजे तक है। कथा 31 मई से आरंभ होकर नौ जून तक चलेगी। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रोतागणों ने शिव महापुराण की कथा का श्रवण किया।