वैराग्य से युक्त ही मुक्त होता है विवेक : पाठक

अवंतीबाई मांगलिक भवन में चल रही है श्रीमद् भागतव कथा

भिण्ड, 07 फरवरी। अवंतीबाई मांगलिक भवन भिण्ड में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सातवे दिन मंगलवार को कथा व्यास संत श्री अनिल पाठिक महाराज ने कहा कि मुक्ति के लिए यह अति आवश्यक है कि पहले व्यक्ति का विवेक जागृत हो जाए, विवेक जाग्रत होने से व्यक्ति को सत क्या है और असत क्या है, अर्थात सत्य स्वरूप सत का ज्ञान प्राप्त हो जाता है, और असत् संसार से वैराग्य हो जाता है। वैराग्य में व्यक्ति परम सुखी होता है कामना का नास हो जाता है कामना का नास होने से व्यक्ति अपने आप में संतुष्ट रहता है न सिर्फ अपने आप होता है, बल्कि कामना रहित व्यक्ति से सारी सृष्टि संतुष्ट होती है। भागवत कथा के अंतिम दिवस परीक्षित की मुक्ति दिवस तथा संत पाठक जी महाराज का जन्म दिवस श्रोताओं ने हर्षल्लास एवं धूमधाम से मनाया।