कथा श्रवण से आती है सुख शांति : पाठक जी महाराज

अवंतीबाई मांगलिक भवन में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 05 फरवरी। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करते समय सहज ही व्यक्ति का इन्द्रिय निग्रह हो जाता है, जो इन्द्रियां हमेशा बाहर ही बरतती रहती हैं, वही इन्द्रियां अंतर मुख होकर साधक के बोध का साधन बन जाती हैं। जिस सुख के लिए व्यक्ति बाहर संसार में निरंतर भटकता रहता है, वह सुख उसी के अंदर विराजमान है, ऐसा अनुभव में आने लगता है और यही श्रीमद् भागवत कथा का उद्देश्य है कि व्यक्ति जीवन में हमेशा सुख शांति प्राप्त करे और स्व-बोध को प्राप्त हो। यह उद्भगत अवंतीबाई मांगलिक भवन भिण्ड में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास संत श्री अनिल पाठक जी महाराज ने व्यक्त किए।

कथा की व्यापकता के महत्व को बताते हुए श्री पाठक ने कहा कि जिन घरों में नित्य भगवान का भजन कीर्तन होता है, परहित का भाव मन में हो, सभी सुखी हों, सभी निरोग रहें, कभी कोई गरीब ना हो, ऐसे दिव्य भाव जिस साधक में मन रहते हैं वह शीघ्र ही स्व-बोध को प्राप्त हो व्यापक हृदय होता है, वह सभी दुख कष्ट से निवृत हो जाते हैं, संसार उनका अनुशरण करता है। कथा के उत्तराद्र्ध में श्री गोवर्धन भगवान की झांकी सजाई गई एवं छप्पन प्रकार के भोग गोवर्धन को लगाए गए। अंत में सभी साधु भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।